इस बार बेहद खास रहेगा राणी सती दादी का भादो महोत्सव, जानिये इसके बारे में विशेष बातें

रानी टिबड़ेवाल

इस साल शनि अमावस्या की तिथि 26 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से शुरू हो कर अगले दिन 27 अगस्त की दोपहर 1 बजकर 46 मिनट पर खत्म हो रही है। पढ़िए पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

प्रतीकात्मक छवि
प्रतीकात्मक छवि


नई दिल्ली: हिन्दी महीने के अनुसार भाद्रपद में पड़ने वाली अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इसको शनि अमावस्या भी कहा जाता है। विशेष संयोग के अंतर्गत यह अमावस्या इस साल शनिवार को पड़ रही है।

इस साल शनि अमावस्या की तिथि 26 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से शुरू हो कर  अगले दिन 27 अगस्त की दोपहर 1 बजकर 46 मिनट पर खत्म हो रही है। उदया तिथि के कारण भाद्रपद अमावस्या 27 अगस्त दिन शनिवार को ही मनाई जाएगी।  इस बार 14 साल बाद शनि अमावस्या का विशेष संयोग बन रहा हैं।

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अमावस्या के दिन मारवाड़ी विशेष पूजा-अर्चना के साथ धूमधाम से ये त्योहार मनाते हैं।  

क्यों है रानी सती दादी की भादो अमावस्या में महत्व

हर साल भादो मास की अमावस्या को राजस्थान के झुंझुनू में राणी सती दादी मंदिर में उत्सव के साथ मनाया जाता है। यहां हर साल भादो अमावस्या को भव्य मंगलपाठ का आयोजन किया जाता  है। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।  

भादो अमावस्या का इतिहास

पौराणिक इतिहास के मुताबिक, महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह में अर्जुन पुत्र अभिमन्यु वीर गति को प्राप्त हुए थे। उस समय अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा को भगवान श्री कृष्णा ने वरदान दिया था कि तू कल्युग में ''नारायणी'' के नाम से श्री सती दादी के नाम से विख्यात होगी, और हर किसी का कल्याण करेगी और पूरी दुनिया में तेरी पूजा की जाएगी।

राणी सती का वास्तविक नाम नारायणी बताया जाता है। कहानियों के अनुसार एक युद्ध के दौरान नारायणी देवी/रानी सती के पति की मौत हो जाती है जिसके बाद वो भी सती हो जाती है। धीरे-धीरे लोग इन्हें आदि शक्ति का रूप मनाने लगे और रानी सती के रूप में पूजा करने लगे। इस मंदिर को कई लोग रानी सती दादी के नाम से भी जानते हैं।

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राजस्थान के झुंझुनू में राणी सती का मंदिर है। शहर के बीचों-बीच स्थित मंदिर झुंझुनू शहर का प्रमुख दर्शनीय स्थल भी है। बाहर से देखने में ये मंदिर किसी राजमहल सा दिखाई देता है। पूरा मंदिर संगमरमर से निर्मित है। इसकी बाहरी दीवारों पर शानदार रंगीन चित्रकारी की गई है।

राणी सती मंदिर के परिसर में कई और मंदिर हैं, जो शिवजी, गणेशजी, माता सीता और रामजी के परम भक्त हनुमान को समर्पित हैं। मंदिर परिसर में षोडश माता का सुंदर मंदिर है, जिसमें 16 देवियों की मूर्तियां लगी हैं। परिसर में सुंदर लक्ष्मीनारायण मंदिर भी बना है।

राजस्थान के मारवाड़ी लोगों का दृढ़ विश्वास है कि राणी सती दादी, स्त्री शक्ति का प्रतीक और मां दुर्गा का अवतार थीं।

राणी सती जी को समर्पित झुंझुनू का ये मंदिर 400 साल पुराना है। यह मंदिर सम्मान, ममता और स्त्री शक्ति का प्रतीक है। देश भर से भक्त राणी सती मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। भक्त यहां विशेष प्रार्थना करते है। इसलिए भाद्रपद माह की अमावस्या पर आयोजित होने वाले धार्मिक नुष्ठान का विशेष महत्व होता है।










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