Odisha Train Accident: बालासोर में भीषण ट्रेन हादसे के असली कारण से उठा पर्दा, कौन है जिम्मेदार, जानिये क्या बोले रेल मंत्री

डीएन ब्यूरो

इलेक्ट्रिक प्वाइंट मशीन त्वरित संचालन और ‘प्वाइंट स्विच’ को लॉक करने के लिए रेलवे सिग्नल का महत्वपूर्ण उपकरण है तथा वह रेलगाड़ियों के सुरक्षित परिचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

ओडिशा रेल हादसे में 288 से अधिक मौतें
ओडिशा रेल हादसे में 288 से अधिक मौतें


बालासोर (ओडिशा): रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को कहा कि ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार को हुए भीषण रेल हादसे के कारण का पता चल गया है और इसके लिये जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली गई है।

दुर्घटनास्थल पर बचाव कार्य पूरा हो गया है और रेलवे का आगामी कुछ दिन में प्रभावित मार्ग पर सामान्य सेवा बहाल करने का लक्ष्य है।

रेलगाड़ियों को टकराने से बचाने वाली ‘कवच’ प्रणाली को लेकर छिड़ी बहस के बीच कांग्रेस ने रेल मंत्री से इस्तीफे की मांग की और सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस बहुप्रचारित प्रणाली को देशभर में कब लागू करेगी।

वैष्णव ने कहा कि रेल हादसे का ‘कवच’ प्रणाली से कोई लेना-देना नहीं है।

रेलवे अपने नेटवर्क में ‘कवच’ प्रणाली उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में है, ताकि रेलगाड़ियों के आपस में टकराने से होने वाले हादसों को रोका जा सके।

वैष्णव केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ दुर्घटनास्थल पर डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने कहा कि हादसे की वजह रेलवे सिग्नल के लिए अहम उपकरण ‘प्वाइंट मशीन’ और ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग’ प्रणाली से संबंधित है।

वैष्णव ने कहा कि ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग’ में किए गए उस बदलाव की पहचान कर ली गई है जिसके कारण यह हादसा हुआ।

उन्होंने कहा, ‘‘ ‘प्वाइंट मशीन’ की सेटिंग में बदलाव किया गया है। यह कैसे और क्यों किया गया, इसका खुलासा जांच रिपोर्ट में किया जाएगा।’’

रेल मंत्री ने कहा, ‘‘इस भीषण घटना के कारण का पता चल गया है...मैं इस पर विस्तार से बात नहीं करना चाहता। रिपोर्ट आने दीजिए। मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि असल वजह और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली गई है।’’

इलेक्ट्रिक प्वाइंट मशीन त्वरित संचालन और ‘प्वाइंट स्विच’ को लॉक करने के लिए रेलवे सिग्नल का महत्वपूर्ण उपकरण है तथा वह रेलगाड़ियों के सुरक्षित परिचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन मशीनों के काम न करने की स्थिति में ट्रेन संचालन पर गंभीर असर पड़ता है और इन्हें लगाते समय हुई खामियों की वजह से असुरक्षित स्थितियां भी पैदा हो सकती हैं।

गौरतलब है कि बालासोर में बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास शुक्रवार शाम करीब सात बजे कोरोमंडल एक्सप्रेस के मुख्य लाइन के बजाय लूप लाइन में प्रवेश करने के बाद वहां खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई थी। इस हादसे की चपेट में बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस भी आ गई थी। इस दुर्घटना में कम से कम 288 लोगों की मौत हुई है और 1,100 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

सूत्रों के मुताबिक, रेल हादसे में मृतक संख्या 288 से बढ़कर 295हो गई है, लेकिन इसकी अभी पुष्टि नहीं हो सकी है।

दुर्घटनास्थल के आस-पास के अस्पतालों में घायलों का उपचार हो रहा है। ऐसे में नयी दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और केंद्र सरकार के अन्य अस्पतालों के चिकित्सकों के एक दल को ओडिशा रेल हादसे में घायल हुए लोगों को चिकित्सकीय मदद मुहैया कराने के लिए भारतीय वायुसेना के एक विशेष विमान से भुवनेश्वर भेजा गया है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह दल दवाइयां और अन्य अहम चिकित्सकीय उपकरण लेकर गया है।

इस बीच, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फोन पर बात की और उन्हें हादसे के बाद की स्थिति, खासकर घायल यात्रियों के उपचार के बारे में जानकारी दी।

पटनायक ने प्रधानमंत्री से कहा कि चिकित्सक, चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे छात्र और अन्य स्वास्थ्य सेवा पेशेवर सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं तथा ओडिशा के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती घायल यात्रियों का जीवन बचाने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं।

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मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक विज्ञप्ति जारी कर मोदी के हवाले से कहा कि प्रधानमंत्री ने संकट के समय तत्काल एवं कुशल तरीके से कदम उठाने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया और कहा कि केंद्र आवश्यकता पड़ने पर हर प्रकार की मदद मुहैया कराने के लिए तैयार है।

प्रधानमंत्री ने इस मुश्किल घड़ी में समय पर मदद मुहैया कराने के लिए ओडिशा के लोगों की भी प्रशंसा की।

मोदी और पटनायक दोनों शनिवार को बालासोर के बाहानगा बाजार क्षेत्र में दुर्घटनास्थल पर गए थे।

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने रेल हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की रविवार को घोषणा की।

इस बीच, प्रधान ने कहा, ‘‘बचाव कार्य पूरा हो गया है और हम प्रभावित लोगों को उनके घर भेजने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि देश के दो अहम हिस्सों को जोड़ने वाले रेलवे लिंक की पटरियों की मरम्मत करना बड़ी चुनौती है।

मंत्री ने कहा, ‘‘मंगलवार तक यह काम संभवत: हो जाएगा।’’

रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमारे दल चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘पटरियों की मरम्मत का काम जारी हैं। हम पटरियों के ऊपर से गुजर रहे तारों और खंभों की मरम्मत कर रहे हैं।’’

उन्होंने बताया कि पटरियों से हटाए गए यात्री डिब्बों की गहन तलाशी ली जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि क्षतिग्रस्त डिब्बों के स्टील के पुर्जों में कोई शव फंसा न रह गया हो।

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि रेलगाड़ियों के टकराने के पलटे सभी 21 डिब्बों को परिचालन कार्य से हटा दिया गया है और अब जगह को साफ किया जा रहा है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘तीन और डिब्बों तथा लोकोमोटिव ऊपरी हिस्से को भी हटाया जाएगा।’’

उन्होंने बताया कि रविवार को अपराह्न एक बजे भद्रक से 12841 कोरोमंडल एक्सप्रेस के मार्ग पर एक विशेष ट्रेन चेन्नई तक चलाई जाएगी और यह कटक, भुवनेश्वर एवं उन सभी स्थानों पर रुकेगी, जहां 12841 कोरोमंडल एक्सप्रेस को रुकना था। उन्होंने कहा कि रेल दुर्घटना के कारण फंसे यात्री और उनके परिजन इस रेल सेवा का लाभ उठा सकते हैं।

वैष्णव ने यह भी कहा कि रेल दुर्घटना के करीब 300 पीड़ितों को मुआवजा दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने सोरो अस्पताल में मरीजों और चिकित्सकों से मुलाकात की। हैदराबाद, चेन्नई, बेंगलुरु, रांची, कोलकाता तथा अन्य स्थानों से विशेष ट्रेन चलाई जा रही हैं, ताकि मरीज इलाज के बाद घर लौट सकें।’’

वैष्णव ने कहा कि मरम्मत का काम युद्धस्तर पर किया जा रहा है और एक मुख्य लाइन पर पटरियां पहले ही बिछाई जा चुकी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने सभी संसाधनों को काम पर लगाया है। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि कवच प्रणाली का इस दुर्घटना से कोई संबंध नहीं है। यह हादसा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली में बदलाव की वजह से हुआ। ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री) की टिप्पणी सही नहीं है।’’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को कहा था कि ओडिशा के बालासोर में हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना ‘‘इस सदी का सबसे बड़ा’’ रेल हादसा है और सच्चाई का पता लगाने के लिए उपयुक्त जांच की आवश्यकता है।

ममता दो बार रेल मंत्री रह चुकी हैं। उन्होंने कहा था कि यदि इस मार्ग पर टक्कर रोधी प्रणाली होती, तो हादसे को टाला जा सकता था।

कांग्रेस ने ओडिशा रेल हादसे को लेकर रविवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की और आरोप लगाया कि उनका ‘‘पीआर हथकंडा’’ भारतीय रेलवे की ‘‘गंभीर कमियों, आपराधिक लापरवाही और सुरक्षा की पूर्ण उपेक्षा’’ पर भारी पड़ गया।

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विपक्षी दल ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी नीत सरकार ने भारतीय रेलवे और लोगों के बीच जो ‘‘अव्यवस्था’’ पैदा की है, उसकी उन्हें जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

कांग्रेस नेता एवं सांसद शक्तिसिंह गोहिल और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के प्रचार एवं मीडिया विभाग प्रमुख पवन खेड़ा ने संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि ओडिशा रेल हादसा ‘‘एक मानवनिर्मित त्रासदी’’ है, जो ‘‘घोर लापरवाही, प्रणाली में गंभीर कमियों, अक्षमता और मोदी (के नेतृत्व वाली) सरकार की ‘सब कुछ पता होने’ की अहंकारी आत्ममुग्धता’’ का नतीजा है।

खेड़ा ने कहा कि दोषियों को सजा देने की घोषणा करने करने वाले प्रधानमंत्री मोदी को इसकी शुरुआत रेल मंत्री से करनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘हम रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की स्पष्ट रूप से मांग करते हैं। इससे कम कुछ नहीं।’’

इससे पहले, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि रेलवे की सुरक्षा से प्रधानमंत्री और रेल मंत्री के ‘‘प्रचार पाने की मुहिम’’ की वजह से समझौता किया गया।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘याद कीजिए कि लाल बहादुर शास्त्री ने नवंबर 1956 की अरियालुर रेल दुर्घटना के बाद इस्तीफा दे दिया था और नीतीश कुमार ने भी अगस्त 1999 की गाइसल ट्रेन हादसे के बाद ऐसा किया था।’’

गोहिल और खेड़ा ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान सरकार से सवाल किया प्रधानमंत्री मोदी, रेल मंत्री वैष्णव से इस्तीफा कब मांगेंगे।

उन्होंने आरोप लगाया कि वैष्णव के ‘‘अत्यधिक प्रचार, और पीआर हथकंडे’’ गंभीर खामियों, आपराधिक लापरवाही तथा भारतीय रेलवे में सुरक्षा की पूर्ण उपेक्षा पर भारी पड़ गए।

गोहिल और खेड़ा ने अपने बयान में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी वंदे भारत एक्सप्रेस रेलगाड़ियों को हरी झंडी दिखाने के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं। वह भारतीय रेलवे में ‘‘सब कुछ ठीक होने’’ का माहौल बनाने के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं, जबकि भारतीय रेलवे के महत्वपूर्ण एवं संवदेनशील बुनियादी ढांचे की उपेक्षा की जा रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम जानना चाहते हैं कि कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक), संसदीय स्थायी समितियों और विशेषज्ञों द्वारा कई बार सतर्क किए जाने के बावजूद मोदी सरकार ने रेलवे सुरक्षा को बेहतर बनाने पर खर्च क्यों नहीं किया?’’

गोहिल और खेड़ा ने सवाल किया कि स्वतंत्र भारत की इस भीषण रेल त्रासदी के लिए कौन जिम्मेदार है।

उन्होंने पूछा कि क्या केवल निचले या मध्यम स्तर के अधिकारियों की ही जवाबदेही होगी या ‘वंदे भारत’ रेलगाड़ियों का सारा श्रेय लेने वाले व्यक्ति को भी सुरक्षा मानकों की इस खुली अवहेलना के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा।

कांग्रेस नेताओं ने यह भी सवाल किया कि मोदी सरकार ‘कवच’ प्रणाली को परीक्षण के बाद देश भर में कब लागू करेगी।

गोहिल और खेड़ा ने सवाल किया कि सरकार राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (आरआरएसके) में और निधि कब देगी तथा भारतीय रेलवे में तीन लाख से अधिक खाली पदों को कब भरेगी।

राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने भी रेल हादसे को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि रेलवे और संचार, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी जैसे बड़े मंत्रालयों को एक मंत्री नहीं संभाल सकता, जैसा कि अश्विनी वैष्णव कर रहे हैं।

इस हादसे के बाद से महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्रों के बीच यात्रियों एवं सामान का आवागमन बाधित हो गया है। इस हादसे को भारत की अब तक की सबसे भीषण रेल दुर्घटनाओं में से एक बताया जा रहा है।

बालासोर और अन्य स्थानीय अस्पतालों में शुरू में भर्ती किए गए कई मरीजों को छुट्टी दे दी गई है या उन्हें कटक, भुवनेश्वर और कोलकाता सहित मल्टी-स्पेशलिटी अस्पतालों में भेज दिया गया है।

अस्पतालों के प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि अधिकतर शवों को भी भुवनेश्वर स्थित एक केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया है।










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