‘द केरला स्टोरी’: विवाद बढ़ने के बीच उप्र और उत्तराखंड में फिल्म को कर मुक्त करने की घोषणा

डीएन ब्यूरो

धर्मांतरण पर आधारित एवं राजनीतिक विमर्श को ध्रुवीकृत करने वाली फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्य उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मंगलवार को कर मुक्त कर दिया गया।

द केरला स्टोरी (फाइल)
द केरला स्टोरी (फाइल)


नई दिल्ली: धर्मांतरण पर आधारित एवं राजनीतिक विमर्श को ध्रुवीकृत करने वाली फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्य उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मंगलवार को कर मुक्त कर दिया गया।

वहीं, कुछ विपक्षी दलों के नेताओं ने फिल्म में नफरत को कथित तौर पर बढ़ावा दिये जाने को लेकर इसकी आलोचना की है।

इस बहुभाषी फिल्म को लेकर विवाद पैदा होने पर उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वह इसकी रिलीज पर रोक लगाने से इनकार करने संबंधी केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक याचिका पर 15 मई को सुनवाई करेगा।

इस बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ट्वीट में घोषणा की, ‘‘द केरला स्टोरी उत्तर प्रदेश में टैक्स फ्री (कर मुक्त) की जाएगी।’’

उनके सूचना निदेशक ने कहा, ‘‘केरला स्टोरी को उत्तर प्रदेश में कर मुक्त किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगामी 12 मई को लखनऊ में अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग देखेंगे।'

वहीं, उत्तराखंड में अधिकारियों ने कहा कि राज्य में यह फिल्म कर मुक्त की जाएगी। पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि यह फिल्म राज्य में कर मुक्त होगी। हालांकि, इस बारे में राज्य सरकार द्वारा औपचारिक घोषणा की जानी अभी बाकी है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि फिल्म में ‘सच्चाई’ है और सभी को इसे देखना चाहिए। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘फिल्म में इस सच्चाई को दिखाया गया है कि कैसे बिना हथियारों और गोला-बारूद के आतंकवाद को फैलाया जा रहा है। मुझे लगता है कि हर किसी को यह फिल्म देखनी चाहिए।’’

धामी ने कहा कि वह अपने सहयोगियों के साथ फिल्म देखेंगे।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने सबसे पहले इस फिल्म को कर मुक्त करने की घोषणा की थी।

अदा शर्मा अभिनीत यह फिल्म शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। फिल्म का निर्देशन सुदिप्तो सेन ने किया है और इसके निर्माता विपुल शाह हैं।

यह फिल्म केरल से हजारों महिलाओं के कथित रूप से लापता होने से जुड़ी घटनाओं से संबंधित है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे केरल की महिलाओं को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया और आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट ने उनकी भर्ती की।

सोमवार को, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसकी ‘स्क्रीनिंग’ पर तुरंत पाबंदी लगाने का आदेश दिया था। तमिलनाडु में भी सिनेमाघरों ने कानून व्यवस्था की समस्या पैदा होने और कम संख्या में दर्शकों के पहुंचने का हवाला देते हुए इसकी ‘स्क्रीनिंग’ रद्द कर दी।

फिल्म का ‘टीजर’ जारी होने के बाद से ही राजनीतिक विवाद पैदा हो गया था।

भाजपा ने महिलाओं को कथित तौर पर जबरन इस्लाम में धर्मांतरित किये जाने और उन्हें आईएसआईएस द्वारा भर्ती किये जाने को फिल्म में प्रदर्शित करने को लेकर इसका समर्थन किया है, जबकि विपक्षी दलों ने नफरत फैलाने का फिल्म निर्माताओं पर आरोप लगाया है।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि ‘द केरला स्टोरी’ के निर्माता को सरेआम फांसी दे देनी चाहिए।

आव्हाड ने कहा, ‘‘उन्होंने ना सिर्फ केरल को बदनाम किया है बल्कि राज्य की महिलाओं का भी अपमान किया है।’’

राकांपा नेता ने एक समाचार चैनल से कहा, ‘‘उनका कहना है कि केरल से 32,000 महिलाएं लापता हुईं और आतंकी समूह आईएसआईएस में शामिल हुईं, लेकिन वास्तविक संख्या तीन है।’’

फिल्म के प्रोडक्शन प्रमुख भंजायु साहू को मुंबई में उनके मोबाइल फोन पर कथित तौर पर धमकी भरा एक संदेश मिला, जिसके बाद पुलिस ने उपनगरीय अंधेरी स्थित उनके दफ्तर में उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई है।

राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने फिल्म के समर्थन में की गई भाजपा नेता खुशबू सुंदर की टिप्पणी को लेकर उनकी आलोचना की और उन पर नफरत को बढ़ावा देने वाली राजनीति करने का आरोप लगाया।

सोमवार को सुंदर ने फिल्म का समर्थन किया था और हैरनागी जताते हुए कहा था, ‘‘इसपर पाबंदी लगाने की मांग करने वाले लोग किस चीज से भयभीत हैं।’’

सिब्बल ने उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, ‘‘केरला फाइल्स पर भाजपा की नेता खुशबू सुंदर का बयान है कि लोगों को तय करने दें कि उन्हें क्या देखना है, आप दूसरों के लिए फैसला नहीं कर सकते। तो आमिर खान की ‘पीके’, शाहरुख खान की ‘पठान’ और ‘बाजीराव मस्तानी’ के प्रदर्शन का विरोध क्यों।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आपकी राजनीति : नफरत फैलाने वाली चीजों का समर्थन करो।’’

उत्तर प्रदेश में, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने बिना किसी का नाम लिए उप्र सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एक ट्वीट में कहा, 'मनोरंजन' को 'मनोरंजन' के लिए छोड़ दें और सिनेमा व साहित्य का प्रयोग अपने जहरीले एजेंडे को देश पर थोपने के लिए न करें।'

उन्होंने हैशटैग ‘द केरला स्टोरी’ से किये गये अपने ट्वीट में कहा, 'नफरत की कोख से उपजी कोई भी कला राष्ट्र और समाज के लिए विध्वंसकारी होगी।'

उप्र के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ‘सच्चाई’ नहीं देखने देने को लेकर पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सरकार की आलोचना की।

उप्र भाजपा के सचिव अभिजात मिश्रा ने कहा कि ‘गजवा ए हिंद’ (भारत के खिलाफ जेहाद) करने का लक्ष्य रखने वालों को बेनकाब किया जा रहा है।

पिछले हफ्ते, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फिल्म को आतंकी साजिशों को बेनकाब करने का श्रेय दिया था। उन्होंने कर्नाटक में एक चुनावी रैली में फिल्म का उल्लेख करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा था।

कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने फिल्म में एक समुदाय विशेष का गलत चित्रण करने का आरोप लगाया है।

यह विवाद राजनीति तक ही सीमित नहीं रहा।

फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की ‘प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने कड़ी निंदा की है।

गिल्ड ने एक बयान में कहा, ‘‘हम पहले भी कई मौकों पर यह बात कह चुके हैं, फिल्म रिलीज के विनियमन का काम केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) का है और वैधानिक आवश्यकताएं पूरी करने वाली किसी भी फिल्म के सामने और अवरोध नहीं आने चाहिए तथा जनता को उसका भविष्य तय करने देना चाहिए।’’

वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए मामले का उल्लेख किया।

जब पीठ ने पूछा कि क्या उच्च न्यायालय ने मामले में आदेश पारित किया है तो सिब्बल ने कहा कि उसने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से मना कर दिया है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे सोमवार (15 मई को) लेंगे।’’

केरल उच्च न्यायालय ने पांच मई को फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा था कि इसके ट्रेलर में किसी पूरे समुदाय के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक सामग्री नहीं है।

 










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