संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा अभियान के प्रमुख ने भारत के योगदान की सराहना की, जानिये पूरा अपडेट
संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा अभियान के प्रमुख ने डिजिटल प्रौद्योगिकियों के महत्व को देखते हुए, इस संदर्भ में विश्व निकाय के शांति अभियानों की तेज गति सुनिश्चित करने के लिए भारत की पहल की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि भारत शांतिरक्षा के डिजिटलीकरण की संयुक्त राष्ट्र की रणनीति में एक ‘‘प्रमुख भागीदार’’ है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा अभियान के प्रमुख ने डिजिटल प्रौद्योगिकियों के महत्व को देखते हुए, इस संदर्भ में विश्व निकाय के शांति अभियानों की तेज गति सुनिश्चित करने के लिए भारत की पहल की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि भारत शांतिरक्षा के डिजिटलीकरण की संयुक्त राष्ट्र की रणनीति में एक ‘‘प्रमुख भागीदार’’ है।
उन्होंने ‘ब्लू हेलमेट’ के खिलाफ अपराधों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने जैसी अहम पहलों में भारत की भागीदारी और प्रतिबद्धता की सराहना की।
‘ब्लू हेलमेट’ संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा सेना के जवानों को कहा जाता है।
भारत संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा अभियानों में कर्मियों के योगदान के मामले में तीसरे नंबर पर है। उसके 6000 से अधिक सैन्य एवं पुलिस कर्मी साइप्रस, कांगो, लेबनान, पश्चिम एशिया और पश्चिम सहारा क्षेत्र में तैनात हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार शांतिरक्षा अभियानों के लिए अवर महासचिव ज्यां पियरे लैक्रोइक्स ने कहा, ‘‘भारत दुनिया में, संयुक्त राष्ट्र में, बहुपक्षवाद में बड़ी भूमिका निभाता है और यह शांतिरक्षा अभियानों में भी अहम योगदान देता है। केवल बलों और पुलिस के संदर्भ में ही उसका योगदान महत्वपूर्ण नहीं है। हम शांतिरक्षा में सुधार के लिए जो कदम उठाते हैं, उनमें भी कई तरीके से हमारी मदद की जाती है।’’
संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा प्रमुख ने भारत के शांतिरक्षकों द्वारा निभाई जाने वाली ‘‘महत्वपूर्ण भूमिका’’ का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि शांतिरक्षा अभियानों में भारत की ‘‘भागीदारी और उसकी सहयोग की प्रतिबद्धता’’ अहम है।
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उन्होंने डिजिटल प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में शांतिरक्षा अभियानों की गति बढ़ाने संबंधी पहल को सहयोग देने में भारत की भूमिका रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘हमने शांतिरक्षा के डिजिटल बदलाव की रणनीति बनाई है और भारत इस संदर्भ में बड़ा साझेदार है।’’
संयुक्त राष्ट्र ने शांतिरक्षा अभियान के 75 वर्ष पूरे होने पर 29 मई को अंतरराष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक दिवस मनाया। इस वर्ष आयोजन की विषय विस्तु थी ‘‘शांति मुझसे शुरू होती है’’ ।
संयुक्त राष्ट्र के तहत सेवा करते हुए पिछले साल अपनी जान गंवाने वाले तीन भारतीय शांति सैनिक उन 103 सैन्य, पुलिस और असैन्य शांति सैनिकों में शामिल हैं, जिन्हें मरणोपरांत ‘डैग हैमरस्कॉल्ड मेडल’ से सम्मानित किया गया।
इन तीन भारतीयों में सीमा सुरक्षा बल के हेड कांस्टेबल शिशुपाल सिंह और संवाली राम विश्नोई शामिल हैं, जिन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संगठन स्थिरीकरण मिशन के साथ काम किया और शाबर ताहेर अली इराक के लिए संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन में कार्यरत थे।
संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा में सबसे ज्यादा सैनिक भेजने वाले देशों में से एक भारत ने इस साल की शुरुआत में अबेई में महिला शांतिरक्षकों की भी एक पलटन तैनात की थी। यह संयुक्त राष्ट्र अभियान में भारत की सबसे बड़ी एकल महिला पलटन की तैनाती है।
लैक्रोइक्स ने कहा कि शांतिरक्षा में सुधार के लिए उठाए गए कदमों में इन अभियानों में महिलाओं की संख्या और उनकी भूमिका बढ़ाना अहम है।
उन्होंने बताया कि उन्होंने हाल में ‘‘अबेई में हमारे भारतीय दल’’ के सैन्य अड्डे का दौरा किया।
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लैक्रोइक्स ने कहा, ‘‘शांतिरक्षा अभियानों में अधिक महिलाएं होने का मतलब अधिक प्रभावी शांति स्थापना है। हम संयुक्त राष्ट्र के महिला सशक्तीकरण के एजेंडे को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाना चाहते हैं...।’’
उन्होंने भारत समेत, शांतिरक्षा अभियानों में दलों एवं पुलिस संबंधी योगदान देने वाले देशों से इकाइयों में केवल अधिक संख्या में महिलाएं भेजने के लिए नहीं, अपितु सैन्य, पुलिस एवं सैन्य इलाकों में ऊंचे पदों के लिए अधिक महिला उम्मीदवारों की तैनाती करने का आग्रह किया।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर अपने कार्यकाल के अंत में अपनी अध्यक्षता के दौरान पिछले साल दिसंबर में ‘ग्रुप ऑफ फ्रेंड्स’ की शुरुआत की थी, जिसका मकसद शांतिरक्षकों के खिलाफ अपराधों के लिए जवाबदेही बढ़ाना है। लैक्रोइक्स ने इसे ‘‘अत्यंत महत्वपूर्ण’’ बताया।
शांतिरक्षकों के खिलाफ अपराध करने वालों को न्याय के दायरे में लाने की दिशा में हुई प्रगति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 2019 से अब तक 72 व्यक्तियों को दोषी ठहराया जा चुका है।
लैक्रोइक्स ने कहा कि जिस माहौल में शांतिरक्षा कर्मी अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं वह बहुत खतरनाक होता जा रहा है।