राजस्थान के राज्यपाल ने बताया संस्कृत भाषा ये महत्व, पढ़िये पूरी रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

राजस्थान के राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है कि देश की एकता एवं अखंडता को अक्षुण रखने में संस्कृत भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र (फाइल फोटो)
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र (फाइल फोटो)


जयपुर: राजस्थान के राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है कि देश की एकता एवं अखंडता को अक्षुण रखने में संस्कृत भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

राज्यपाल ने प्राचीन भारतीय साहित्य एवं संस्कृति से नई पीढ़ी को जोड़ने के लिए संस्कृत को नए संदर्भ देते हुए बढ़ावा दिए जाने पर बल दिया है।

मिश्र सोमवार को जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि जीवन व्यवहार और आदर्श लोकाचार की शिक्षा संस्कृत भाषा में बहुत सहज एवं सुंदर रूप में दी गई है। उन्होंने कहा कि संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से आंतरिक सुसंगति वाली भाषा है, जो विचारों के आदान-प्रदान के लिए बहुत सरल और मधुर है।

राज्यपाल ने डाइनामाइट न्यूज़ से कहा कि संस्कृत भाषा सनातन सांस्कृतिक मूल्यों की संवाहक है। वेद, पुराण सहित दर्शन, तत्त्वमीमांसा, धार्मिक चिंतन, काव्य, अलंकार शास्त्र, नाटक, ब्रह्मांड विज्ञान, खगोल शास्त्र, भूगोल, भू-विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, शरीर-रचना विज्ञान, शल्यक्रिया, आयुर्वेद, आनुवांशिकी, वास्तुकला, वैमानिकी, यंत्र विज्ञान, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान, प्राणी विज्ञान, गणित शास्त्र, मनोविज्ञान आदि के ज्ञान का संस्कृत में अथाह भंडार है।

उन्होंने कहा कि संस्कृत में रचे गए महती साहित्य, ज्ञान-विज्ञान से जुड़ी पुस्तकों को हिंदी के साथ दूसरी भारतीय भाषाओं में अनुवादित कराने की पहल की जाए ताकि संस्कृत का प्राचीन ज्ञान नई पीढ़ी को उपलब्ध हो सके।

उन्होंने इस अवसर पर संस्कृत के प्राचीन ज्ञान के आधार पर भारतीय संस्कृति से जुड़ा कोष भी तैयार करने का सुझाव दिया।

इस अवसर पर शिक्षा, कला एवं संस्कृति तथा संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि संस्कृत वेद भाषा है और कई भारतीय भाषाओं की जननी है। यही नहीं, कई विदेशी भाषाओं में भी संस्कृत के शब्द पाए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा की संक्षिप्तीकरण की शैली इतनी अद्भुत है जो अन्य किसी भाषा में नहीं है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए हाल ही प्रदेश में 20 महाविद्यालय खोले जाने का निर्णय क‍िया गया।










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