गंगा नदी पर स्थित गांवों से निकलने वाले लगभग 2400 नालों की ‘जियो टैगिंग’ करायेगी सरकार
गंगा नदी के किनारे मलबा डाले जाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बारे में संज्ञान लेते हुए सरकार नदी किनारे स्थित चार हजार गांवों से निकलने वाले लगभग 2400 नालों की ‘जियो टैगिंग’ करेगी और इनसे ठोस कचरा प्रवाहित होने से रोकने के लिए उपकरण ‘एरेस्टर स्क्रीन’ लगायेगी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: गंगा नदी के किनारे मलबा डाले जाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बारे में संज्ञान लेते हुए सरकार नदी किनारे स्थित चार हजार गांवों से निकलने वाले लगभग 2400 नालों की ‘जियो टैगिंग’ करेगी और इनसे ठोस कचरा प्रवाहित होने से रोकने के लिए उपकरण ‘एरेस्टर स्क्रीन’ लगायेगी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, गंगा नदी पर अधिकार सम्पन्न कार्यबल (ईटीएफ) की पिछले महीने हुई 11वीं बैठक के कार्यवृत (मिनट्स) दस्तावेज से यह जानकारी मिली है। बैठक में जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने यह निर्देश दिया।
बैठक के कार्यवृत के अनुसार, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक ने बैठक में बताया कि उत्तरकाशी में सुरंग के निर्माण के कारण इसके मलबे को गंगा नदी के किनारे डाल दिया गया। इससे नदी के जल में ठोस कचरा प्रदूषण का स्तर बढ़ गया।
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उन्होंने कहा कि गंगा नदी के किनारे कई स्थानों पर ठोस कचरा डाला जा रहा है जो नदी के जल में जा रहा है।
एनएमसीजी के महानिदेशक ने बताया कि इसके कारण जलमल शोधन संयंत्रों में गंदे पानी का शोधन करने में समस्याएं आ रही हैं।
कार्यवृत दस्तावेज के अनुसार जल शक्ति सचिव, ग्रामीण विकास सचिव ने कहा कि अमृत 2.0 के कोष का उपयोग नदी जल में जा रहे ठोस कचरे को रोकने एवं स्क्रीन लगाने के लिए किया जा सकता है। इस संबंध में आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय से भी सहयोग मांगा गया है।
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जल शक्ति मंत्री शेखावत ने निर्देश दिया कि गंगा नदी के तट पर स्थित गांवों से निकलने वाले नालों की ‘जियो टैगिंग’ की जाए और इनसे नदी में ठोस कचरा प्रवाहित होने से रोकने के लिए उपकरण ‘एरेस्टर स्क्रीन’ स्थापित की जाये।
दस्तावेज के अनुसार, ‘‘यह निर्णय किया गया कि गंगा नदी के तट पर स्थित सभी गांव (लगभग 4000) से निकलने वाले सभी नालों (लगभग 2400) की ‘जियो टैगिंग’ की जायेगी।’’
इसमें कहा गया है कि ‘जियो टैगिंग’ किये गये नालों की सूचनाएं शहरी स्थानीय निकायों/ आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण-2 के साथ साझा की जायेगी ताकि नदी में ठोस कचरा प्रवाहित होने से रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की जा सके।