Telangana Elections: भ्रष्टाचार रोधी छवि भाजपा की ताकत, ‘मजबूत नेताओं की कमी’ कमजोरी

डीएन ब्यूरो

कर्नाटक में मई में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से शिकस्त मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पांच दक्षिणी राज्यों में से एक में सरकार बनाने के लिए तेलंगाना से उम्मीदें लगाए बैठी है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

भ्रष्टाचार रोधी छवि भाजपा की ताकत
भ्रष्टाचार रोधी छवि भाजपा की ताकत


हैदराबाद: कर्नाटक में मई में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से शिकस्त मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पांच दक्षिणी राज्यों में से एक में सरकार बनाने के लिए तेलंगाना से उम्मीदें लगाए बैठी है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उसे राज्य में अपनी सरकार बनाने के लिए 30 नवंबर को होने वाले चुनाव में तेलंगाना में प्रभावशाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और उत्साहित कांग्रेस की चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

पिछले तीन साल में कुछ उपचुनाव और वृहद हैदराबाद नगर निगम चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव नीत बीआरएस की प्रमुख चुनौती बनकर उभरी भाजपा को बाद में आंतरिक कलह का सामना करना पड़ा।

अंसतुष्टों को शांत करने की कवायद के रूप में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के स्थान पर बंदी संजय कुमार को हटाकर केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को नियुक्त करना पड़ा।

भाजपा की ताकत, कमजोरियों, अवसरों और चुनौतियों का आकलन इस प्रकार है :

ताकत -

राज्य में पार्टी द्वारा बरकरार साफ छवि उसे फायदा पहुंचा सकती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और राज्य में पार्टी की राजनीतिक स्फूर्ति उसकी ताकत बन सकती है।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरआरएस) से संबद्ध विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल जैसे संघ परिवार से समर्थन मिलेगा।

कमजोरियां -

कई निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा के पास मजबूत संगठनात्मक ढांचे का अभाव है और सभी 119 विधानसभा सीटों पर मजबूत उम्मीदवार न होना भी उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है।

स्थानीय ईकाई की प्रत्येक फैसले के लिए केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भरता है।

लोगों के बीच यह प्रबल भावना है कि भाजपा और बीआरएस के बीच एक मौन साझेदारी है।

बंदी संजय को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाना एक कमजोरी के रूप में देखा जाता है।

राज्य इकाई में ऐसा कोई नेता नहीं है जो मुख्यमंत्री केसीआर के कद का मुकाबला कर सके।

अवसर -

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पार्टी कुछ उपलब्धियों पर दावा जता सकती है जैसे कि महिला आरक्षण विधेयक पारित होना और 17 सितंबर को तेलंगाना मुक्ति दिवस के रूप में मनाना। वह सत्तारूढ़ गठबंधन में स्थानीय नेतृत्व के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को भी उठा सकती है।

केसीआर की बेटी कविता की दिल्ली आबकारी घोटाले मामले में कथित भूमिका का मुद्दा भी उठा सकती है।

चुनौतियां -

कर्नाटक चुनाव के बाद उसकी राष्ट्रीय प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस तेलंगाना में बीआरएस के एक विकल्प के रूप में उभरी है। इसके परिणामस्वरूप सत्ता विरोधी वोट कांग्रेस के पाले में जा सकते हैं।

कांग्रेस का प्रचार अभियान भाजपा और बीआरएस के बीच कथित मौन साझेदारी के इर्द-गिर्द हो सकता है।

भाजपा को इससे प्रभावी रूप से निपटने की आवश्यकता है। कांग्रेस अपने प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक के रूप में इसका इस्तेमाल कर सकती है।

सभी 119 निर्वाचन क्षेत्रों में मजबूत नेतृत्व का अभाव। कुछेक नेताओं को छोड़कर पार्टी में लोगों को आकर्षित करने वाले नेताओं की कमी है।










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