Supreme Court decision on Shiksha Mitra: सुप्रीम कोर्ट का यूपी के शिक्षा मित्रों को लेकर बड़ा फैसला

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश में बतौर शिक्षक तैनाती की राह ताक रहे उम्मीदवारों के लिये गुरूवार का दिन बड़ी सौगात लेकर आया। राज्य में लंबे समय से अटकी सैकड़ों शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। पढें, डाइनामाइट न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट
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दिल्ली/लखनऊ: राज्य में लंबे समय से नियुक्ति की राह ताक रहे प्राथमिक शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। गुरूवार को देश की शीर्ष अदालत ने शिक्षामित्रों की याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका के खारिज होने के साथ ही देश के सबसे राज्य यूपी में 69 हजार प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से योगी सरकार को भी बड़ी राहत मिली है। गुरूवार को याचिकाकर्ताओं की दलील सुनकर शीर्ष अदालत में जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस शान्तनुगौडार और जस्टिस विनीत शरण की बेंच ने शिक्षा मित्रों की याचिका को खारिज कर दिया। 

सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और बेसिक शिक्षा बोर्ड की ओर से राकेश मिश्रा पेश हुए। लेकिन याचिका पर सुनवाई के दौरान उनको अपना पक्ष रखने की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ी। शीर्ष अदालत ने शिक्षामित्रों की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी से परीक्षा के बाद नये कटऑफ को तय करने के नियम से संबंधित कई सवाल किये। जस्टिस ने उनसे यह भी पूछा कि क्या कटऑफ विज्ञापन का हिस्सा था?

शिक्षा मित्रों के वकील मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत में शिक्षामित्रों को बहुत कम वेतन मिलने की भी दलील दी। जस्टिस ने उनसे नियुक्ति के लिये सामान्य और आरक्षित वर्ग के लिये जरूरी क्रमश 45 फीसदी और 40 फीसदी अंकों से भी संबंधित सवाल भी किये। दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज कर दी गई।

शिक्षा मित्रों के वकील मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत में शिक्षामित्रों को बहुत कम वेतन मिलने की भी दलील दी। जस्टिस ने उनसे नियुक्ति के लिये सामान्य और आरक्षित वर्ग के लिये जरूरी क्रमश 45 फीसदी और 40 फीसदी अंकों से भी संबंधित सवाल भी किये। दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज कर दी गई।










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