चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, दिया ये फैसला

डीएन ब्यूरो

चंडीगढ़ महापौर चुनाव में मतपत्रों को कथित तौर पर विरूपित करने की घटना को उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को लोकतंत्र का माखौल करार देते हुए आदेश दिया कि मतपत्रों और चुनावी कार्यवाही के वीडियो को संरक्षित रखा जाए। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालय


नयी दिल्ली: चंडीगढ़ महापौर चुनाव में मतपत्रों को कथित तौर पर विरूपित करने की घटना को उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को लोकतंत्र का माखौल करार देते हुए आदेश दिया कि मतपत्रों और चुनावी कार्यवाही के वीडियो को संरक्षित रखा जाए।

आम आदमी पार्टी (आप) के एक पार्षद की याचिका का संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने नगर निकाय सहित चंडीगढ़ प्राधिकारियों को नोटिस जारी किए।

आप के पार्षद ने चुनावों में गड़बड़ी का आरोप लगाया है।

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डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने चुनावी कार्यवाही का वीडियो देखने के बाद नाराजगी जताई और कहा कि प्रथम दृष्टया, निर्वाचन अधिकारी ने मत पत्रों को विरूपित किया।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र का माखौल है। जो कुछ हुआ उससे हम स्तब्ध हैं। हम लोकतंत्र की इस तरह हत्या नहीं करने देंगे।’’

पीठ ने आदेश दिया कि मत्र पत्र और कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग संरक्षित रखी जाए।

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आप के एक पार्षद ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें चंडीगढ़ महापौर चुनाव नये सिरे से कराने के पार्टी के अनुरोध पर कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था।

भाजपा ने 30 जनवरी को चंडीगढ़ महापौर चुनाव में कांग्रेस-आप गठजोड़ के खिलाफ जीत हासिल की थी।

महापौर पद के लिए हुए चुनाव में भाजपा के मनोज सोनकर ने आप के कुलदीप कुमार को हराया था। सोनकर को 16 जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी को 12 वोट मिले थे। वहीं, आठ वोट को अवैध घोषित कर दिया गया था।










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