Success Story: यूपी की इस महिला व्यसायी की कहानी, जानिये पति की मौत कैसे 'कचौड़ी वाली अम्मा' ने भरी सफलता की उड़ान

डीएन ब्यूरो

शाहजहांपुर जिले की अंजू वर्मा के सामने पति की मौत के बाद चार बच्‍चों की परवरिश की जिम्मेदारी थी, लेकिन उन्होंने मुसीबतों का सामना करते हुए रात में कचौड़ी बेचना शुरू किया और अब उन्हें लोग कचौड़ी वाली अम्मा के नाम से पुकारने लगे हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

कचौड़ी वाली अम्मा
कचौड़ी वाली अम्मा


शाहजहांपुर: शाहजहांपुर जिले की अंजू वर्मा के सामने पति की मौत के बाद चार बच्‍चों की परवरिश की जिम्मेदारी थी, लेकिन उन्होंने मुसीबतों का सामना करते हुए रात में कचौड़ी बेचना शुरू किया और अब उन्हें लोग 'कचौड़ी वाली अम्मा' के नाम से पुकारने लगे हैं।

शाहजहांपुर जिला मुख्यालय के कोतवाली के पास सुनहरी मस्जिद के सामने रहने वालीं अंजू रात में 10 बजे अपनी कचौड़ी बेचने की दुकान लगाती हैं और उनकी दुकान रात 10 बजे से शुरू होकर सुबह तीन से चार बजे तक चलती है।

अंजू वर्मा ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि पांच साल पहले उनके पति विनोद वर्मा की हृदय गति रुक जाने से मौत हो गयी थी जिसके बाद उनके सामने घर को चलाने की समस्या खड़ी हो गई।

उन्होंने कहा कि उनके पति भी कचौड़ी बेचते थे, लेकिन उनकी मौत के बाद एक महीने तक काम बंद रहा और घर में खाने-पीने की चीजें जुटाना एक मुसीबत बन गई।

इसके बाद अंजू ने अपने पति के काम को अपना लक्ष्य बना लिया और अब जब बाजार में दुकानें बंद हो जाती हैं, तब अंजू का कचौड़ी कारोबार शुरू होता है।

उन्होंने रात में दुकान लगाने की एक वजह ये भी बताई कि उनके पास कोई अपनी जगह नहीं है और रात में दुकानदारों के चबूतरे खाली होते हैं।

उन्होंने कहा कि रात में सड़क पर खड़े होकर कचौड़ी खाने वालों में अध्यापक, पुलिसकर्मी, व्यापारी और नेता सहित सभी वर्गों के लोग शामिल होते हैं।

अंजू ने बताया कि उनकी तीन बेटियां हैं, लेकिन कचौड़ी बेचकर वह अपनी एक बेटी की शादी कर चुकी हैं। उनका सबसे छोटा बेटा 20 साल का है जो कॉलेज में पढ़ाई करता है।

अपनी दिनचर्या के बारे में अंजू ने बताया कि वह सुबह तीन-चार बजे तक दुकान बंद करती हैं और इसके बाद सोती हैं, लेकिन दिन में दो बजे जाग जाती हैं और बाजार से सामग्री एकत्र करके फिर 10 बजे रात तक दुकान लगा देती हैं।

अंजू की दुकान पर आलू का भर्ता भरकर बनाई गई कचौड़ी के साथ सोयाबीन और आलू की सब्जी के साथ लहसुन की चटनी मिलती है। उन्होंने बताया कि वह 30 रुपये में चार कचौड़ी बेचती हैं, लेकिन कचौड़ी तथा सब्जी में वह अपने घर में ही बनाए गए मसालों का प्रयोग करती हैं।

वह एक रात में 1500 से 2000 रुपये की बिक्री कर लेती हैं। शहर में ही रहने वाले अभिनव गुप्ता एक सामाजिक संस्था चलाते हैं और वह ''कचौड़ी वाली अम्मा'' की कचौड़ी के मुरीद हैं। वह उन्हें 2019 में मातृ शक्ति के रूप में सम्मानित भी कर चुके हैं।

वह बताते हैं कि कचौड़ी वाली अम्मा की दुकान रात में खुलती है, इसलिए उनकी टीम के लोग बराबर अम्मा का ध्यान रखते हैं।

पुलिस अधीक्षक एस आनंद ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि उन्हें जानकारी है और उन्होंने कोतवाली पुलिस को निर्देश दे रखे हैं कि पुलिस उनकी दुकान की पूरी सुरक्षा करे। उन्होंने कहा कि एक महिला रात में कचौड़ी की दुकान लगाए, यह अपने आप में बड़ी बात है।

आनंद ने कहा कि कोतवाली में आने वाले प्रत्येक प्रभारी को यह हिदायत रहती है कि चीता पुलिस समय-समय पर कचौड़ी वाली अम्मा की दुकान पर जाकर देखे तथा सुरक्षा की व्यवस्था करे।

भाजपा के जिला महामंत्री अनिल गुप्ता ने कहा कि उनका पैतृक घर अल्लाहगंज है जो 60 किलोमीटर दूर है, लेकिन वह जब भी शाहजहांपुर आते हैं तो सभी काम निपटाने के बाद कचौड़ी वाली अम्मा की दुकान खुलने का इंतजार करते हैं।

इसके बाद वह स्वयं कचौड़ी खाते हैं एवं अपने घर के लिए पैक कराकर भी ले जाते हैं। उन्‍होंने कहा कि वह चाहते थे कि अंजू वर्मा की आर्थिक रूप से वह मदद करें, लेकिन उन्हें पता चला कि अम्मा बहुत स्वाभिमानी महिला हैं और वह किसी की भी मदद नहीं लेतीं।

स्वामी शुकदेवानंद स्नातकोत्तर विद्यालय के उपप्राचार्य अनुराग अग्रवाल ने बताया कि उनका बाहर खाने का मन होता है तो वह सिर्फ कचौड़ी वाली अम्मा की ही कचौड़ी खाते हैं, क्योंकि उनकी कचौड़ी बहुत ही स्वादिष्ट होती है और मूल्य भी वाजिब है- चार कचौड़ी में पेट भर जाता है।










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