दुष्कर्म से किशोरी को गर्भवती करने के शादीशुदा आरोपी ने दिया पत्नी के गर्भवती होने का हवाला, जानिये अदालत का ये रुख

डीएन ब्यूरो

गुजरात उच्च न्यायालय में 16 साल 11 महीने की किशोरी से दुष्कर्म करने और उसे गर्भवती करने के एक आरोपी ने कहा कि वह शादीशुदा है और उसकी पत्नी गर्भवती है जिसके बाद अदालत ने ‘समझौते’ की संभावना पर विचार करने को कहा। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय में 16 साल 11 महीने की किशोरी से दुष्कर्म करने और उसे गर्भवती करने के एक आरोपी ने कहा कि वह शादीशुदा है और उसकी पत्नी गर्भवती है जिसके बाद अदालत ने ‘समझौते’ की संभावना पर विचार करने को कहा।

अदालत दुष्कर्म पीड़िता की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी जो सात महीने के गर्भ से है और उसने गर्भपात कराने की अनुमति मांगी है। न्यायामूर्ति समीर दवे ने बृहस्पतिवार को प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि वे आरोपी को पेश करें ताकि उसके और पीड़ित लड़की के बीच ‘समझौते’ की संभावनाओं को टटोला जा सके।

इस मामले में आरोपी युवक (23)फिलहाल मोरबी शहर के उप कारागार में बंद में है और उसे शुक्रवार शाम को अदालत के समक्ष पेश किया गया। आरोपी ने अदालत को बताया कि उसकी करीब दो साल पहले शादी हुई थी और उसकी पत्नी भी गर्भवती है।

याचिकाकर्ता के वकील सिकंदर सैय्यद ने कहा कि अदालत ने अब समझौते की संभावना से इनकार कर दिया है।

सैय्यद ने कहा, ‘‘नाबालिग की चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने कहा कि गर्भपात कराना संभव नहीं होगा। अब इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी। इस बीच अदालत ने पीड़िता के पिता को समय दिया है कि वह बच्चे के जन्म को लेकर अपनी बेटी की राय ले।’’

इससे पहले सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी की थी कि एक समय यह सामान्य था कि लड़की की कम उम्र में शादी हो जाती थी और वह 17 साल की होने से पहले बच्चे को जन्म देती थी।

अदालत ने संकेत दिया था कि अगर लड़की और उसका भ्रूण सेहतमंद हुआ तो संभव है कि वह गर्भपात कराने की अर्जी स्वीकार नहीं करे। न्यायमूर्ति दवे ने बुधवार को मामले की हुई सुनवाई में प्राचीन हिंदू विधि संहिता मनुस्मृति का भी संदर्भ दिया था।

दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने उच्च न्यायालय में अर्जी देकर गर्भपात कराने की अनुमति मांगी है क्योंकि 24 सप्ताह से अधिक का गर्भ होने पर बिना अदालत की अनुमति के गर्भपात नहीं किया जा सकता।

लड़की का पक्ष रख रहे वकील से न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ मैं अनुमति नहीं दूंगा अगर दोनों (जच्चा और बच्चा) स्वस्थ्य हों। भ्रूण का वजन भी अच्छा है...आप क्या करेंगे अगर लड़की बच्चे को जन्म देना चाहे और बच्चा जिंदा हो? बच्चे का ख्याल कौन रखेगा? मैं ऐसे बच्चों के लिए सरकारी योजनाओं की जानकारी भी प्राप्त करूंगा। आपको भी देखना चाहिए क्या कोई होने वाले बच्चे को गोद ले सकता है।’’










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