पाक, बांग्लादेश, म्यांमा व नेपाल की सीमाओं पर विकिरण जांच उपकरण लगाए जाएंगे

डीएन ब्यूरो

रेडियोधर्मी सामग्री की तस्करी को रोकने लिए पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमा और नेपाल की सीमा पर जल्द ही विकिरण जांच उपकरण (आरडीई) लगाए जाएंगे, ताकि परमाणु यंत्र बनाने में इसके संभावित इस्तेमाल पर लगाम लगाई जा सके। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

सीमाओं पर विकिरण जांच उपकरण लगाए जाएंगे
सीमाओं पर विकिरण जांच उपकरण लगाए जाएंगे


नयी दिल्ली: रेडियोधर्मी सामग्री की तस्करी को रोकने लिए पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमा और नेपाल की सीमा पर जल्द ही विकिरण जांच उपकरण (आरडीई) लगाए जाएंगे, ताकि परमाणु यंत्र बनाने में इसके संभावित इस्तेमाल पर लगाम लगाई जा सके। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि आरडीई को एकीकृत जांच चौकी (आईसीपी) और भूमि पारगमन स्थल पर लगाया जाएगा। यह अटारी (पाकिस्तान सीमा), पेट्रापोल, अगरतला, डावकी और सुतारकांडी (बांग्लादेश सीमा पर), रक्सौल और जोगबनी (नेपाल) और मोरेह (म्यांमा सीमा) पर लगाए जाएंगे।

घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि सरकार ने विकिरण जांच उपकरणों की आपूर्ति, स्थापना और रखरखाव के लिए कार्य आदेश पिछले साल हुए एक समझौते के माध्यम से प्रदान कर दिया था और संबंधित विक्रेता जल्द ही इसकी आपूर्ति करेगा और इन्हें लगाने का काम पूरा होगा।

केंद्र सरकार ने आरडीई स्थापित करने की पहल इसलिए की है ताकि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से रेडियोधर्मी सामग्रियों की तस्करी पर रोक लगाई जा सके। आठ आईसीपी से बड़ी संख्या में लोगों और सामानों की आवाजाही होती है।

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एक अन्य अधिकारी ने बताया कि रेडियोधर्मी सामग्री की तस्करी भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चुनौती हो सकती है क्योंकि इसका उपयोग परमाणु उपकरण या रेडियोलॉजिकल प्रसार उपकरण बनाने के लिए किया जा सकता है।

आरडीई ट्रकों और उनमें लदे सामान की निगरानी करेगा।

पाकिस्तान के साथ संबंधों में मौजूदा खटास के कारण अटारी आईसीपी के माध्यम से लोगों और सामानों की आवाजाही में भारी कमी आई है, लेकिन अन्य आईसीपी पर काफी आवाजाही है।

आईसीपी पर तैनात सुरक्षा एजेंसियां सीमा पार सामान की आवाजाही की निगरानी के लिए आरडीई का उपयोग कर सकती हैं।

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अधिकारी ने कहा कि संदिग्ध वस्तु होने की स्थिति में आरडीई अलार्म बजने और वीडियो फ्रेम तैयार करने से सुसज्जित है।

इसमें विशेष परमाणु सामग्री और उर्वरक में प्राकृतिक रूप से होने वाले विकिरण के बीच अंतर करने की क्षमता भी होगी।

माना जाता है कि सरकार ने इसे स्थापित करने में अमेरिका सहित कुछ विदेशी एजेंसियों से तकनीकी मदद ली है।

 










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