बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन, बिनौला के दाम मजबूत, मूंगफली में गिरावट

देश के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह कारोबार का मिला-जुला रुख रहा। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 29 October 2023, 11:56 AM IST
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नयी दिल्ली:  देश के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह कारोबार का मिला-जुला रुख रहा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक बाजार सूत्रों ने कहा कि एक ओर जहां शादी- विवाह और त्योहारों के सीजन की मांग के कारण सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन तथा बिनौला तेल के दाम मजबूत हुए, वहीं नई फसल की आवक बढ़ने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के साथ साथ जाड़े की मांग कमजोर पड़ने से पामोलीन एक्स-कांडला के भाव में गिरावट रही। बाकी पाम, पामोलीन तेल कीमतें पूर्वस्तर पर रहीं। सोयाबीन डीगम के आयात में बेपड़ता कारोबार के कारण पहले जो नुकसान था, त्योहारी और शादी-विवाह के मौसम की मांग बढ़ने के बाद वह नुकसान खत्म होने के कारण सोयाबीन डीगम तेल के भाव भी पूर्वस्तर पर बंद हुए।

सूत्रों ने कहा कि सरसों के अच्छे माल की कमी बनी हुई है और सर्दी के मौसम की मांग बढ़ने के पूरे आसार हैं। अगली फसल आने में कुछ माह का समय है और इस बार सरसों की पूरी पेराई भी नहीं हो पाई है क्योंकि नमी की वजह से सरसों के अच्छे माल की कमी है। इसी वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में सरसों तेल- तिलहन मजबूती के साथ बंद हुए।

सूत्रों ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले मंडियों में सोयाबीन की आवक कम हो रही है क्योंकि किसानों को कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के आसपास मिलने के बावजूद उन्हें पिछले वर्षों के मुकाबले मौजूदा कीमत काफी कम लग रही है और केवल जरूरतमंद किसान ही मंडियों में अपनी उपज बेचने आ रहे हैं। मुर्गीदाने में इस्तेमाल किये जाने वाले डी-आयल्ड केक (डीओसी) की स्थानीय मांग पहले के मुकाबले बढ़ रही है और खपत भी अच्छी है। विदेशों से भी डीओसी की मांग बढ़ रही है। किसानों का कहना है कि एमएसपी का भाव मिलने के बावजूद उनकी लागत नहीं निकल रही है और रबी की बुवाई की मजबूरी की वजह से उन्हें थोड़ी बहुत उपज बेचनी पड़ रही है।

सूत्रों ने कहा कि नई फसल की आवक बढ़ने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट है। वहीं सर्दी में तेल के जमने के गुण के कारण पाम एवं पामोलीन तेल की मांग प्रभावित हुई है जिससे समीक्षाधीन सप्ताह में पामोलीन एक्स कांडला तेल के दाम नरम बंद हुए जबकि सीपीओ और पामोलीन दिल्ली के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में कीट हमले से कपास की फसल प्रभावित होने के कारण बिनौला तेल कीमतों में भी सुधार आया।

सूत्रों ने कहा कि आगे शादी-विवाह और त्योहारी सीजन को देखते हुए सॉफ्ट ऑयल (सूरजमुखी, सोयाबीन तेल) की मांग बढ़ती जायेगी और आने वाले दिनों में आयात घटने के आसार हैं। इसके लिए जरूरी इंतजाम अभी से करना होगा।

पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 20 रुपये बढ़कर 5,795-5,845 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 75 रुपये बढ़कर 10,875 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 15-15 रुपये का लाभ दर्शाता क्रमश: 1,835-1,930 रुपये और 1,835-1,945 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 150-150 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 5,050-5,150 रुपये प्रति क्विंटल और 4,850-4,950 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

इसी तरह सोयाबीन दिल्ली और सोयाबीन इंदौर तेल का भाव क्रमश: 10 रुपये और पांच रुपये के मामूली सुधार के साथ क्रमश: 10,035 रुपये और 9,885 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ, जबकि सोयाबीन डीगम तेल का दाम 8,350 रुपये रुपये प्रति क्विंटल के पूर्वस्तर पर ही बंद हुए।

नई फसल की आवक बढ़ने के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में गिरावट देखने को मिली। मूंगफली तेल-तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव क्रमश: 200 रुपये, 750 रुपये और 210 रुपये टूटकर क्रमश: 6,850-6,900 रुपये क्विंटल, 15,500 रुपये क्विंटल और 2,305-2,590 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।

जाड़े की मांग कमजोर पड़ने के बीच समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 7,900 रुपये और पामोलीन दिल्ली का भाव 9,300 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्वस्तर पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन एक्स कांडला का भाव 50 रुपये की हानि के साथ 8,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

दूसरी ओर, समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव भी 125 रुपये की मजबूती के साथ 8,925 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

 

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