दंगाइयों के मणिपुर कमांडो की वर्दी का दुरुपयोग करने पर पुलिस ने कड़ी चेतावनी जारी की

डीएन ब्यूरो

मणिपुर पुलिस ने लोगों को कड़ी चेतावनी देते हुए उनसे उसकी काली कमांडो वर्दी का दुरुपयोग बंद करने को कहा है। अधिकारियों ने यहां बताया कि ऐसी खबर है कि सशस्त्र दंगाइयों ने अविश्वास पैदा करने के लिए यह पोशाक पहनी थी।

मणिपुर कमांडो (फाइल)
मणिपुर कमांडो (फाइल)


इंफाल: मणिपुर पुलिस ने लोगों को कड़ी चेतावनी देते हुए उनसे उसकी काली कमांडो वर्दी का दुरुपयोग बंद करने को कहा है। अधिकारियों ने यहां बताया कि ऐसी खबर है कि सशस्त्र दंगाइयों ने अविश्वास पैदा करने के लिए यह पोशाक पहनी थी।

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी इकाइयों को सूचित कर दिया गया है कि मणिपुर पुलिस की काले रंग की कमांडो वर्दी का दुरुपयोग न हो। उन्हें निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया गया है।

यह मामला कुछ वीडियो प्रसारित होने के बाद सामने आया है जिसमें कुछ सशस्त्र हमलावरों को काली वर्दी पहने देखा गया था। उन्होंने कहा कि यह तीन मई और उसके बाद राज्य में हुई हिंसा के दौरान चुराई गई प्रतीत होती हैं।

राज्य में दो समूहों - मेइती और कुकी - के बीच हुए सशस्त्र संघर्ष और हिंसा में अब तक 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

अधिकारियों ने कहा कि पुलिस को सुरक्षाकर्मियों, खासकर इंडिया रिजर्व बटालियन और मणिपुर पुलिस को ले जाने वाले किसी भी वाहन और उनके पहचान पत्र की जांच करने के लिए भी कहा गया है।

उन्होंने कहा कि ऐसे मौके आए हैं जब पुलिस की वर्दी का भी दुरुपयोग किया गया है लेकिन ऐसे मामले कम हैं। उन्होंने कहा कि इसको खत्म करने की जरूरत है क्योंकि ऐसे में दूसरे समुदाय को लगता है कि कानून लागू करने वाली एजेंसी पक्षपाती है।

जातीय झड़पों के बाद 45,000 जवानों वाली मणिपुर पुलिस पूरी तरह से विभाजित हो गई, बल के मेइती समुदाय से जुड़े कर्मी सुरक्षा के लिए इंफाल घाटी में चले गए तो वहीं कुकी कर्मी पहाड़ियों की ओर गए।

पुलिस की ओर से चोरी गये हथियारों का आकलन किया जा रहा है, वहीं उनकी बरामदगी के प्रयास भी तेज कर दिये गये हैं। इस सिलसिले में पुलिस ने दो लोगों को चोरी के पुलिस हथियारों के साथ गिरफ्तार किया था, जो उन्होंने इंफाल घाटी से खरीदे थे।

अधिकारियों ने कहा कि बेहतर पुलिसिंग से संबंधित घटनाक्रम में पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह ने कार्यभार संभालने के तुरंत बाद पाया था कि लगभग 1,200 कर्मी ड्यूटी से गायब हैं।

उनका पहला काम इन लोगों की पहचान करना और जहां भी वे सहज हों, उनको “ड्यूटी पर वापस लाने” की औपचारिकताएं पूरी करना था।

घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि लगभग 1,150 कर्मी वापस ड्यूटी पर लौट आए हैं और जो कर्मी वापस नहीं आए हैं उनका वेतन रोकने के लिए नए निर्देश जारी किए गए हैं।

हाल ही में, पुलिस प्रमुख ने थाउबल जिले के खंगाबोक इलाके का दौरा किया था, जहां तीसरी इंडिया रिजर्व बटालियन के जवानों ने सैकड़ों दंगाइयों द्वारा शस्त्रागार को लूटने के प्रयास को विफल कर दिया था। यह जिला खोंगजोम के लिए जाना जाता है, जहां मणिपुर की आजादी की आखिरी लड़ाई अप्रैल 1891 में ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ी गई थी।

मणिपुर पुलिस द्वारा ‘नाके’ लगाए जा रहे हैं, जिसके तहत लोगों को कर्फ्यू के दौरान आंदोलन सहित नियमों का उल्लंघन करने पर हिरासत में लिया जाता है। इसके अलावा तलहटी में दोनों समुदायों के किसानों को सुरक्षा प्रदान की जाती है।

 










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