इंडिया का नाम भारत करने संबंधी याचिका पर नहीं हो सकी सुनवाई
देश का अंग्रेजी नाम ‘इंडिया’ को बदलकर ‘भारत’ या ‘हिन्दुस्तान’ करने संबंधी एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को भी सुनवाई नहीं हो सकी। जानिये, अब कब होगा इस पर विचार किया जायेगा।
नयी दिल्ली: देश का अंग्रेजी नाम ‘इंडिया’ को बदलकर ‘भारत’ या ‘हिन्दुस्तान’ करने संबंधी एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को भी सुनवाई नहीं हो सकी। अब इस पर बुधवार को विचार किया जायेगा।
मामले की सुनवाई आज पहले से निर्धारित थी, लेकिन मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अनुपलब्धता के कारण इसे कल तक के लिए टाल दिया गया है।
Supreme Court adjourns petition which sought to change the name of the country from "India" to "Bharat", without giving any next date.
— ANI (@ANI) June 2, 2020
Chief Justice of India SA Bobde, who was slated to hear the matter, was on leave today, hence the matter was adjourned. pic.twitter.com/DdjJgLUNcs
सु्प्रीम कोर्ट वेबसाइट पर अपलोड किये गये एक नोटिस के अनुसार, न्यायमूर्ति बोबडे की अनुपलब्धता के कारण उनकी अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष आज सूचीबद्ध सभी मामलों की सुनवाई स्थगित की गयी है। अब इन मामलों की सुनवाई कल यानी तीन जून को होगी। इन मामलों में नम: नामक के व्यक्ति की वह याचिका भी शामिल है, जिसमें देश का नाम इंडिया के बदले भारत या हिन्दुस्तान करने के लिए संविधान के अनुच्छेद एक में संशोधन के निर्देश देने की मांग की गयी है।
गौरतलब है कि संबंधित याचिका की सुनवाई 29 मई को नहीं हो सकी थी, क्योंकि मुख्य न्यायाधीश उस दिन भी उपलब्ध नहीं थे। इसके बाद सुनवाई के लिए आज की तारीख मुकर्रर की गयी थी।
याचिकाकर्ता ने ‘इंडिया’ शब्द को औपनिवेशिक और गुलामी का प्रतीक बताते हुए संविधान के अनुच्छेद एक में संशोधन का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है। याचिकाकर्ता ने यह याचिका वकील राजकिशोर चौधरी के माध्यम से दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि इंडिया की जगह भारत नामकरण से देश में एक राष्ट्रीय भावना पैदा होगी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में 15 नवंबर, 1948 को हुए संविधान के मसौदे का भी उल्लेख किया है, जिसमें संविधान के प्रारूप एक के अनुच्छेद एक पर बहस करते हुए एम. अनंतशयनम अय्यंगर और सेठ गोविन्द दास ने ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत, भारतवर्ष, हिंदुस्तान’ नामों को अपनाने की वकालत की थी।(वार्ता)