विधानसभा चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पहले प्रस्ताव पर क्या बोले अब्दुल्ला?

साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया गया था, जिसके बाद अब ये पहले चुनाव हैं। इसी को लेकर उमर अब्दुल्ला ने बड़ा बयान दिया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की ये रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 18 August 2024, 4:44 PM IST
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Omar Abdullah: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Election) सितंबर और अक्टूबर में तीन चरणों में होंगे। पहले चरण के मतदान 18 सितंबर, दूसरे चरण के 25 सितंबर और तीसरे चरण के 1 अक्टूबर को होंगे। म चुनाव के बाद विधानसभा का पहला कदम राज्य से विशेष दर्जा छीने जाने को लेकर केंद्र के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करना होगा।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने विशेष राज्य के दर्जा के साथ-साथ लोगों से छीने गये उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की निर्वाचित विधानसभा के कामकाज का पहला आदेश न सिर्फ भारत के बाकी हिस्सों को बल्कि पूरी दुनिया को ये बताना होना चाहिए कि 5 अगस्त 2019 को हमारे साथ जो हुआ उससे जम्मू-कश्मीर के लोग सहमत नहीं हैं। 

जल्द पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाये
जम्मू कश्मीर की 114 में से 90 सीटों पर तीन चरणों में होने वाले चुनाव के नतीजे 4 अक्टूबर को जारी कर दियचे जायेंगे। उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि मेरा मानना है कि निर्वाचित मुख्यमंत्री को सबसे जरूरी काम ये सुनिश्चित करना होगा कि जम्मू-कश्मीर को जल्द से जल्द पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाए क्योंकि सिर्फ एक राज्य के तौर पर हम 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर को हुये नुकसान की भरपाई कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट का रुख
उन्होंने ये भी कहा कि अगर राज्य को तुरंत विशेष दर्जा नहीं दिया गया तो ऐसे में वो एक बार फिर से सुर्पीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में समय नहीं लगाएंगे। उन्होंने कहा कि इसकी बहाली की लड़ाई चल रही है। हमें कुछ भी आसानी से नहीं मिलने वाला है। यहां तक की इस चुनाव में भी हमें कुछ भी आसानी से नहीं मिलेगा।

उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) पर हमला बोलते हुए उन्हें अयोग्य बताया। नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता ने कहा कि उपराज्यपाल जम्मू-कश्मीर के अयोग्य शासक हैं। यहां तक कि उनके पास जो शक्तियां हैं, वो एक निर्वाचित सरकार और एक मजबूत मुख्यमंत्री होने के बाद उनका खुले तौर पर इस्तेमाल नहीं कर सकते।