इलाहाबाद विश्वविद्यालय के तीन प्रोफेसरों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी, जातिसूचक टिप्पणी करने का आरोप, जानिए पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की एक असिस्टेंट प्रोफेसर की शिकायत पर विश्वविद्यालय के दो सेवानिवृत्त प्रोफेसरों समेत तीन प्रोफेसर के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी करने के आरोप में गैर जमानती वारंट (एनबीडब्लू) जारी किया गया है।

तीन प्रोफेसरों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी
तीन प्रोफेसरों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी


प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय की एक असिस्टेंट प्रोफेसर की शिकायत पर विश्वविद्यालय के दो सेवानिवृत्त प्रोफेसरों समेत तीन प्रोफेसर के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी करने के आरोप में गैर जमानती वारंट (एनबीडब्लू) जारी किया गया है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में एक महिला असिस्टेंट प्रोफेसर ने अगस्त, 2016 में तत्कालीन प्रोफेसर प्रह्लाद, तत्कालीन विभागाध्यक्ष मनमोहन कृष्ण और प्रोफेसर जावेद अख्तर के खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत कर्नलगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

एसीपी शिवकुटी राजेश कुमार यादव ने बताया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के तीन प्रोफेसरों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। इस मामले में विधिक कार्यवाही की जा रही है।

अर्थशास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर ने पुलिस में शिकायत की थी कि प्रोफेसर प्रह्लाद, प्रोफेसर मनमोहन कृष्ण और प्रोफेसर जावेद अख्तर ने उनके खिलाफ जातिसूचक शब्दों का उपयोग कर उनका उत्पीड़न किया।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी जया कपूर ने बताया कि प्रोफेसर मनमोहन कृष्ण सेवानिवृत्ति के बाद विश्वविद्यालय में नीति आयोग चेयर प्रोफेसर हैं, जबकि प्रह्लाद कुमार सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वहीं जावेद अख्तर अभी सेवारत हैं।

उन्होंने बताया कि 2016 में अर्थशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर दीपशिखा सोनकर की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन कुलपति ने इस मामली की जांच के लिए एक समिति गठित की थी। समिति ने जांच में शिकायत को निराधार पाया और इस दौरान सोनकर ने समिति द्वारा भेजे गए सवालों के जवाब नहीं दिए थे और ना ही कोई साक्ष्य पेश किए।










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