एनएचआरसी के अध्यक्ष का बड़ा खुलासा, जानिये स्वस्थ होने के बाद भी कितने मरीज हैं मानसिक चिकित्सालयों में भर्ती

डीएन ब्यूरो

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने बुधवार को कहा कि देश में 2,000 से अधिक मरीज स्वस्थ होने के बावजूद मानसिक चिकित्सालयों में हैं, जबकि उन्हें एक अतरिक्त दिन के लिए भी वहां नहीं होना चाहिए। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा


नयी दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने बुधवार को कहा कि देश में 2,000 से अधिक मरीज स्वस्थ होने के बावजूद मानसिक चिकित्सालयों में हैं, जबकि उन्हें एक अतरिक्त दिन के लिए भी वहां नहीं होना चाहिए।

एनएचआरसी प्रमुख ने यहां विज्ञान भवन में मानसिक स्वास्थ्य विषय पर आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में अपने संबोधन के दौरान यह बात कही।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘‘अस्पताल ऐसी जगह नहीं होती, जहां स्वस्थ हो चुके मरीजों को एक भी अतिरिक्त दिन के लिए रुकने की अनुमति दी जानी चाहिए।’’

उन्होंने अपने संबोधन में एनएचआरसी की रिपोर्ट का जिक्र किया। यह रिपोर्ट आयोग के दलों और उसके विशेष प्रतिवेदकों द्वारा जुलाई 2022 से जनवरी 2023 तक देश के विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों के किए गए दौरों पर आधारित है।

एनएचआरसी प्रमुख ने कहा, ‘‘रिपोर्ट बताती है कि मानसिक चिकित्सालयों में 2,000 से अधिक मरीज स्वस्थ हो जाने के बावजूद रह रहे हैं, जबकि किसी अस्पताल में एक भी ऐसा मरीज नहीं होना चाहिए, जो स्वस्थ हो चुका है। अस्पताल स्वस्थ हो चुके मरीजों के रहने की जगह नहीं है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनमें से आधे मरीज (900 से अधिक) पश्चिम बंगाल के चार अस्पताल में हैं। यह न्याय का उपहास है।’’

एनएचआरसी प्रमुख ने कहा कि समाज को मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सोच बदलने की कोशिश करनी चाहिए और ‘‘खुले संवाद को प्रोत्साहित करना चाहिए जिससे समझ विकसित हो सके और करुणा पैदा हो सके।’’










संबंधित समाचार