नवरात्रि स्पेशल: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से जागृत करें कुंडलिनी शक्ति
नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रहमचारिणी की पूजा-आराधना की जाती है। मां के इस रूप को पूजने से व्यक्ति को तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार व संयम जैसे गुणों की प्राप्ति होती है।
नई दिल्ली: गुरूवार से शुरू हो चुके नवरात्रि का आज दूसरा दिन है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां के दूसरे स्वरूप ब्रहमचारिणी की पूजा-आराधना की जाती है। इसी प्रकार मां भगवती के नवरात्र में नौ दिनों तक नौ रूपों की पूजा की जाती है
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बेहद शांत और सौम्य है मां का ब्रहमचारिणी रूप
मां का ब्रहमचारिणी रूप बेहद ही शांत, सौम्य और मोहक है। मां के इस रूप को पूजने से व्यक्ति को तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार व संयम जैसे गुणों की प्राप्ति होती है, जो उसको जीवन में आगे ले जाने में मदद करते हैं। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्षमाला है और बाएं हाथ में कमण्डल है। देवी के इस स्वरूप की पूजा और साधना से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है। कुंडलिनी शक्ति जागृत होने से व्यक्ति को कई आध्यात्मिक फायदे मिलते हैं।
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उपासना के समय पीले या सफेद वस्त्र पहने
पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक यह हिमालय की पुत्री थीं तथा नारद के उपदेश के बाद भगवान को पति के रूप में पाने के लिए इन्होंने कठोर तप किया। जिस कारण इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। ऐसा कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी हिमालय और मैना की पुत्री हैं। ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के समय पीले या सफेद वस्त्र पहने, क्योंकि मां को यह वस्त्र् बहुत पसंद है।
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मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
अर्थ-हे मां! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।
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