जानिए क्‍या है लेटर ऑफ अंडरटेकिंग? जिसकी मदद से मेहुल चोकसी ने किया था फर्जीवाड़ा, पढ़ें पूरी खबर

हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी हो गई है। जिसके बाद यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि आखिर मेहुल चोकसी ने कैसे इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है। पढ़िए डायनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 14 April 2025, 4:13 PM IST
google-preferred

नई दिल्ली: भारत के सरकारी बैंकों को लगभग 13 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाकर फरार हुए हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी की खबर ने एक बार फिर देशभर में सनसनी मचा दी है। बेल्जियम पुलिस ने मेहुल चोकसी को हिरासत में ले लिया है, लेकिन उसे भारत लाने की प्रक्रिया इतनी आसान नहीं दिख रही।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, सरकार और बैंकों की तरफ से इस भगोड़े कारोबारी के खिलाफ लगातार कानूनी कार्रवाई की जा रही है, ताकि लूटे गए पैसों की वसूली हो सके। लेकिन इस बीच, आम लोगों के मन में यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि आखिर मेहुल चोकसी और उसके भांजे नीरव मोदी ने बैंकों को इतने बड़े पैमाने पर चूना कैसे लगाया?

कैसे हुआ यह घोटाला?

यह मामला साल 2018 में तब सामने आया जब पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने यह खुलासा किया कि उसकी मुंबई स्थित ब्रेडी हाउस शाखा से मेहुल चोकसी और नीरव मोदी ने 13,500 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। बैंकों से यह रकम लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) के जरिए ली गई थी। यह कागज़ पर बैंक की ओर से दी जाने वाली गारंटी होती है, जिसमें बैंक यह भरोसा देता है कि उसका ग्राहक लिए गए कर्ज को चुकाएगा। इस भरोसे पर दूसरे बैंक उस ग्राहक को बिना किसी शक के पैसा दे देते हैं।

क्या होता है LoU?

LOU यानी Letter of Undertaking असल में एक तरह की बैंक गारंटी है। इसके तहत एक बैंक, ग्राहक के पक्ष में किसी दूसरे बैंक को लिखित भरोसा देता है कि वह ग्राहक के कर्ज के दायित्वों को पूरा करेगा। आमतौर पर इसका इस्तेमाल व्यापारी और कंपनियां विदेशी लेन-देन के लिए करती हैं। लेकिन मेहुल चोकसी और नीरव मोदी ने इस बैंकिंग प्रक्रिया का बेजा फायदा उठाते हुए, भ्रष्ट बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर LoU का गलत इस्तेमाल किया।

कैसे लूटा गया बैंक का पैसा?

मार्च 2011 में मेहुल चोकसी और नीरव मोदी ने पीएनबी के ब्रेडी हाउस शाखा से पहली बार LoU के जरिये कर्ज लिया। इसके बाद अगले 6 वर्षों में उन्होंने 1,212 LoU जारी करवाए, जिनमें से महज 53 सही थे और बाकी सभी फर्जी। इस पूरे फर्जीवाड़े में गोकुलनाथ शेट्टी, जो उस वक्त बैंक के डिप्टी जनरल मैनेजर थे, ने अहम भूमिका निभाई। शेट्टी ने बैंकिंग सिस्टम को बायपास कर इन आरोपियों को फर्जी गारंटी जारी करने में मदद की। इन LoU के आधार पर मेहुल और नीरव ने विदेश में स्थित भारतीय बैंकों की शाखाओं से मोटी रकम निकाली, जिसका बहाना हीरे और मोती का आयात दिखाया गया। असल में इस पैसे का बड़ा हिस्सा मनी लांड्रिंग के जरिये विदेशी खातों में ट्रांसफर कर दिया गया।

कर्ज चुकाने की जिम्मेदारी किसकी?

चूंकि LoU एक बैंक गारंटी होती है, इसलिए रकम लौटाने की ज़िम्मेदारी उस बैंक की होती है जिसने यह गारंटी दी थी। इस केस में PNB ने गारंटी दी थी, इसलिए जब मेहुल और नीरव ने रकम नहीं चुकाई तो अंत में बैंक को यह राशि चुकानी पड़ी। यानी नुकसान आखिरकार बैंक और उसके माध्यम से आम जनता के पैसे का हुआ।

अब भी जारी है LoU का इस्तेमाल?

घोटाले के बाद बैंकों ने LoU की प्रक्रिया को लेकर कड़े नियम लागू कर दिए हैं। हालांकि, आज भी व्यापारिक लेन-देन, आयात-निर्यात और विशेष जीएसटी मामलों में LoU का उपयोग होता है, लेकिन इसके लिए अब कई स्तरों की जांच और कड़े अनुमोदन जरूरी कर दिए गए हैं।

क्या वसूल हो पाएगा पैसा?

अब बड़ा सवाल यही है कि क्या मेहुल चोकसी से पूरी रकम वसूली जा सकेगी। हकीकत यह है कि अब तक की कार्रवाई में गीतांजलि जेम्स की संपत्तियां जब्त करके करीब 125 करोड़ रुपये की वसूली की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके अलावा 2024 में मुंबई में स्थित कई अचल संपत्तियों की नीलामी से 2,566 करोड़ रुपये वसूलने की कोशिश की गई थी। बावजूद इसके जानकारों का मानना है कि पूरा 13,500 करोड़ रुपये वसूलना काफी मुश्किल है।