यूपी के 36 साल पुराने इस भीषण नरसंहार केस में कोर्ट ने सुनाया फैसला, 40 लोग बरी, पुलिस पर सवाल, जानिये पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के मेरठ की एक अदालत ने मलियाना में हुए नरसंहार के 36 साल पुराने मामले के 40 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। एक अधिवक्ता ने रविवार को यह जानकारी दी।
मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ की एक अदालत ने मलियाना में हुए नरसंहार के 36 साल पुराने मामले के 40 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक मेरठ में वर्ष 1987 में टीपी नगर थाना क्षेत्र के मलियाना में दंगे के दौरान हुए नरसंहार मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद शनिवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश लखविंदर सूद ने फैसला सुनाते हुए 40 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
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आरोपियों के अधिवक्ता सीएल बंसल ने बताया कि अदालत ने साक्ष्य के अभाव में सभी 40 आरोपियों को बरी कर दिया। उन्होंने बताया कि अदालत के सामने यह तथ्य रखा गया कि पुलिस ने मतदाता सूची सामने रखकर नरसंहार में आरोपित बना दिए थे, जबकि उनका कोई कसूर नहीं था।
घटना का ब्यौरा देते हुए उन्होंने बताया कि मेरठ में सांप्रदायिक दंगे के बाद 22 मई 1987 को हाशिमपुरा नरसंहार हुआ, जिसमें 42 लोगों की हत्या की गई थी और इस मामले में 2018 में पीएसी के 16 जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई, लेकिन इसके बाद 23 मई को मलियाना में हुए नरसंहार में अब आए फैसले में किसी को सजा नहीं हुई। उन्होंने बताया कि इस घटना में कुल 63 लोग मारे गए थे ।
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