कवि और गीतकार नामदेव धोंडो महानोर के निधन पर कई नेताओं ने जताया शोक, कही ये बातें

डीएन ब्यूरो

प्रसिद्ध मराठी कवि और गीतकार नामदेव धोंडो महानोर का बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियों के कारण बृहस्पतिवार सुबह पुणे के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

नामदेव धोंडो महानोर का निधन
नामदेव धोंडो महानोर का निधन


पुणे: प्रसिद्ध मराठी कवि और गीतकार नामदेव धोंडो महानोर का बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियों के कारण बृहस्पतिवार सुबह पुणे के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार और कई अन्य नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया ।

महानोर के पोते शशिकांत महानोर ने बताया कि वह पिछले कुछ दिन से यहां रुबी हॉल क्लीनिक में भर्ती थे तथा वेंटिलेटर पर थे।

वह ना धो महानोर के नाम भी जाने जाते थे। उनका जन्म 1942 में हुआ और उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वह राज्य विधान परिषद के सदस्य भी रहे थे।

उन्होंने ‘जगाला प्रेम अर्पावे’, ‘गंगा वाहू दे निर्मल’ और ‘दिवेलागणीची वेल’ समेत कई मशहूर कविताएं तथा गीत लिखे तथा ‘एक होता विदुषक’, ‘जैत रे जैत’, ‘सर्जा’ तथा अन्य मराठी फिल्मों के लिए गीत भी लिखे।

महानोर अक्सर इस बात का जिक्र किया करते थे कि कैसे उनके खेत में उगने वाले सीताफल का नाम महान गायिका लता मंगेशकर के नाम पर रखा गया।

‘पीटीआई-भाषा’ के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा था कि बड़ी संख्या में लोग इस फल को ‘सीताफल' के बजाय 'लताफल' कहते हैं।

उनके परिवार में दो बेटे तथा तीन बेटियां हैं।

परिवार के एक सदस्य ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार औरंगाबाद जिले में उनके पैतृक स्थान पलासखेड़ा में किया जाएगा।

मुख्यमंत्री शिंदे ने मराठी कवि के निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया कि उन्होंने ‘‘माटी के गीत गाए।’’

उन्होंने कहा कि महानोर के साहित्यिक कार्यों में ‘‘मिट्टी की सुगंध’’ थी। वह जमीन से जुड़े रहे लेकिन अपने साहित्यिक कार्यों से आसमान को छूआ।

शिंदे ने कहा कि उन्हें महाराष्ट्र सरकार का कृषि भूषण पुरस्कार प्रदान किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं महानोर के योगदान के लिए उन्हें नमन करता हूं।’’

उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने ट्वीट किया, ‘‘हमने ऐसा कवि खो दिया है जिन्होंने मानव हृदय को प्रकृति से जोड़ा। हमने ऐसा लेखक खो दिया है जिन्होंने मराठी साहित्य को एक अलग मुकाम पर पहुंचाया। उनकी कविताएं प्रकृति तथा महिलाओं के इर्द-गिर्द रही।’’

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र ने एक महान साहित्यकार को खो दिया है।

राकांपा प्रमुख पवार ने कहा कि महानोर का एक किसान परिवार में जन्म हुआ और उनका बचपन मुश्किलों में बीता और इसलिए वह जंगलों तथा प्रकृति के प्रति संवेदनशील थे।

उन्होंने ट्वीट किया कि इसके कारण उनकी रचनात्मकता निखर उठी। उनकी लेखनी ने मराठी लोगों के दिलों पर राज किया।

पवार ने कहा कि उनके द्वारा लिखे कई गीतों ने मराठी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

उन्होंने विधान परिषद सदस्य के रूप में महानोर के कार्यकाल को भी याद करते हुए कहा कि उनके भाषण लोगों के दिलों को छूते थे।

राकांपा की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा, ‘‘ना धो महानोर का निधन हम सभी के लिए निजी क्षति है।’’

राज्य विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि महानोर का निधन मराठी साहित्यिक जगत के लिए बड़ी हानि है।

उस्मानाबाद से लोकसभा सदस्य ओमप्रकाश राजेनिंबालकर ने कहा, ‘‘हमने ना धो महानोर के रूप में मराठी साहित्य का एक रत्न खो दिया है। उन्होंने मानव हृदय को प्रकृति से जोड़ा। हमने एक किसान खो दिया जो किसानों की समस्याओं को बहुत अच्छी तरह जानते थे।’’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय सचिव पंकजा मुंडे ने कहा कि ना धो महानोर का निधन मराठी साहित्य जगत के लिए एक क्षति है। उन्होंने कवयित्री बहिनाबाई की विरासत को आगे बढ़ाया था।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण ने कहा कि महानोर ने अपनी कविताओं के जरिए किसानों का दर्द बयां किया। उन्होंने पिछले साल नांदेड में महानोर से हुई अपनी आखिरी मुलाकात को भी याद किया।

कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार ने कहा कि महाराष्ट्र ने ऐसा कवि खो दिया है जिन्होंने अपनी कविताओं के जरिए राज्य के किसानों की भावनाओं को व्यक्त किया।

राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि महानोर की कविताओं ने 21वीं सदी के युवाओं में भी एक आकर्षण पैदा किया। वह न केवल महान कवि थे बल्कि एक सच्चे किसान भी थे।

राज्य के पूर्व मंत्री राजेश टोपे ने कहा, ‘‘हमने संवदेनशील हृदय वाले एक कवि को खो दिया है।’’










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