मनोज सिन्हा दिल्ली के अपने आवास से जम्मू के लिये रवाना, संभालेंगे नई जिम्मेदारी, जानिये उनके बारे में
भाजपा के प्रमुख चेहरों में शामिल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा आज दिल्ली से जम्मू के लिये रवाना हो गये है, जहां वे जम्मू-कश्मीर के नवनियुक्त उप राज्यपाल की जिम्मेदारी संभालेंगे। डाइनामाइट न्यूज की विशेष रिपोर्ट..
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के नवनियुक्त उपराज्यपाल मनोज सिन्हा आज नई जिम्मदारी संभालने के लिये अपने दिल्ली आवास से जम्मू के लिये रवाना हो गये हैं। इससे पहले मनोज सिन्हा की गिनती केंद्रीय राजनीति के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश में भाजपा के बड़े चेहरों के रूप में होती रही हैं। उन्हें कल ही जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के रूप में राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया गया।
आरएसएस से जुड़ाव और मोदी के करीबी
मनोज सिन्हा युवावस्था और एक छात्र जीवन से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं। बीएचयू छात्रसंघ अध्यक्ष से अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरूआत करने वाले मनोज सिन्हा की गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बेहद करीबियों में होती है। आरएसएस के दिनों से ही पीएम मोदी के साथ उनके करीबी संबंध रहे हैं।
यूपी की जीत और सिंहासन का सफर
मनोज सिन्हा भाजपा के उन कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं, जिन्हें उत्तर प्रदेश के 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिलाने का श्रेय दिया जाता है। यही कारण है कि यूपी में लंबे समय से बनवास झेल रही भाजपा को पिछले चुनाव में जब सत्ता का सिंहासन मिला तो मनोज सिन्हा की देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रवल दावेदारों के रूप में होने लगी।
विश्वास और जिम्मदारी
पार्टी को यूपी में जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद भी मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ की ताजपोशी के बावजूद भी मनोज सिन्हा का भरोसा पीएम मोदी पर थोड़ा भी कम नहीं हुआ। संभवत: वे जानते थे कि मोदी की अगुवाई वाला केंद्रीय नेतृत्व उन्हें देर-सबरे कोई बड़ी और चुनौतीपूर्ण जिम्मदारी जरूर सौंपेंगा। आखिरकार उनका यह विश्वास अब सच साबित हो गया है और जम्मू-कश्मीर जैसे अहम राज्य के राज्यपाल की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी गयी है।
जम्मू-कश्मीर को मिलेगा फायदा
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यूपी के गाजीपुर से सांसद रहे 61 साल के मनोज सिन्हा अब जम्मू-कश्मीर के दूसरे उपराज्यपाल का जिम्मा संभालेंगे। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में वे रेलवे राज्यमंत्री और संचार राज्यमंत्री का कार्यभार भी संभाल चुके हैं। बतौर राज्यपाल जम्मू-कश्मीर को उनकी लंबी और जमीन से जुड़ी राजनीति का पूरा फायदा मिलेगा।
लगभग नौ महीने तक बतौर राज्यपाल जम्मू-कश्मीर की कमान संभालने वाले मुर्मू का इस्तीफा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूर कर लिया। मुर्मू ने ऐसे समय पर त्यागपत्र दिया, जब देश में 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने की पहली वर्षगांठ मनाई जा रही थी।