महराजगंज: मनरेगा के कामों में गैरकानूनी ढंग से लाखों का भुगतान, मनरेगा के निवर्तमान प्रभारी रामकरन पाल की भूमिका संदिग्ध
कृषि विभाग में करोड़ों के यंत्र घोटाले और डीपीआरओ कांड की गूंज अभी ठंडी भी नहीं पड़ी है कि महराजगंज जिले के परियोजना निदेशक और मनरेगा के निवर्तमान प्रभारी रामकरन पाल का एक नया कांड सामने आ गया है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
महराजगंज: डीआरडीए के परियोजना निदेशक और मनरेगा के निवर्तमान प्रभारी रामकरन पाल की देखरेख में चलने वाले मनरेगा के कामों में भयानक घोटाला सामने आय़ा है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार कई ग्राम पंचायतों में मनरेगा के कामों में निर्धारित इस्टीमेट से अधिक का भुगतान गैरकानूनी ढंग से करके सरकारी धन को लूट लिया गया। जब ये मामला मनरेगा के निवर्तमान प्रभारी रामकरन पाल के संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने कोई कार्यवाही करने की बजाय सारे मामले को लीप-पोत दिया।
अब इस मामले में उत्तर प्रदेश शासन ने सख्त एक्शन लिया है। मनरेगा की उपायुक्त डा. नीरजा गुप्ता ने जिलाघिकारी को सारे मामले में सख्त कार्यवाही कर तीन दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी है।
लंबे समय तक मनरेगा का चार्ज न जाने किस षड़यंत्र के तहत पीडी को दिया गया था। इस बीच खबर है कि कल ही मनरेगा के नये प्रभारी के रुप में अनिल चौधरी ने महराजगंज में चार्ज लिया है।
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पीडी के मनरेगा प्रभारी के कार्यकाल में जमकर धांधली की गयी है।
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पत्रांक संख्या 2079/मनरेगा सेल/शि- 15143/2020-21 दिनांक 01 दिसबंर 2020 में लिखा है कि मिठौरा ब्लाक के कई गांवों में मनरेगा के तहत कराये गये कामों में इस्टीमेट से अधिक का भुगतान कर गबन किया जाने का मामला प्रकाश में आया है।
इस मामले में तीन दिन के अंदर एक्शन लेकर लिखित अवगत कराया जाये। मामला मिठौरा ब्लाक के पिपरा नरायन, मोहनापुर और रजवल गांव से जुड़ा है। यहां ढ़ाई लाख से अधिक का भुगतान निर्धारित इस्टीमेट से ज्यादा किया गया है।
इस संबंध में सीडीओ पवन अग्रवाल ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि इस मामले में रिकवरी करायी जा रही है साथ ही सख्त कार्यवाही की जा रही है।
पीडी रामकरन पाल की भूमिका के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में सीडीओ ने कहा कि जिसकी भी भूमिका इसमें संदिग्ध मिलेगी, उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक मिठौरा ब्लाक के तीन गांव तो सिर्फ बानगी भर हैं, जिले में बड़ी संख्या में ऐसे गांव हैं जहां इस्टीमेट से ज्यादा भुगतान कर सरकारी पर डाका डाल दिया गया है, यदि मनरेगा प्रभारी के रुप में रामकरन पाल के कार्यकाल की जिले भर में व्यापक जांच हो जाये तो कई सफेदपोशों की कलई खुल जायेगी। आम चर्चा है कि परियोजना निदेशक रामकरन पाल की भूमिका सारे मामले में संदिग्ध है फिर भी क्यों इनको अनिल चौधरी के आने के पहले लंबे समय तक मनरेगा का अतिरिक्त कामकाज दिया गया है? यह सवालों के घेरे में है।