महराजगंज: भ्रष्टाचार के घुन से स्वास्थ्य व्यवस्था बीमार, एक हाथ में ड्रीप तो दूसरे में बोतल थामे हास्पिटल के चक्कर लगा रही महिला मरीज, देखें VIDEO

डीएन संवाददाता

जब जनपद की स्वास्थ्य व्यवस्था खुद ही बीमार पड़ जाए तो मरीजों का भगवान भरोसे रहना स्वाभाविक है। जिले में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। महिला मरीज ड्रीप लगाये और बोतल हाथ में लिये हास्पिटल के चक्कर लगा रही है। पढिये डाइनामाइट न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट



महराजगंज: बीते कुछ समय से महराजगंज का जिला अस्पताल सिर्फ एक रेफर हास्पिटल बनकर रह गया है। अव्यवस्थाओं, अपर्याप्त सुविधाओं, जनप्रतिनिधियों की संवेदनहीनता और स्वास्थ्य महकमे की सुस्त चाल का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ा रहा है। जिला अस्पताल में बेड की दरकार और उसके लिये भी सेटिंगबाजी के कारण यहां आम मरीजों को दयनीय स्थिति में देखा जा सकता है। 

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यहां आम मरीजों के लिये आसानी से बेड उपलब्ध होने की गुंजाइश काफी कम होती है। बेड न होने के नाम पर मरीजों को रेफर करवाने और प्राइवेट हास्पिटल में भेजने का सिलसिला यहां जारी है।  

डाइनामाइट न्यूज़ ने जब जिला अस्पताल और हॉस्पिटल प्रबंधन पर लगने वाले आरोपों का जायजा लेने की कोशिश को तो यहां आये मरीजों की स्थिति ने अस्पताल के दावों की पोल खुद ही खोल दी।

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डाइनामाइट न्यूज का पहला सामना इलाज के लिये सदर ब्लॉक के पकड़ी नौनिया गांव की एक महिला मरीज कैलाशी देवी पत्नी रामकेवल से हुआ। कैलाशी देवी पेट दर्द से कराह रही थी। उनके पेट में सूजन भी था। 

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सदर हास्पिटल में डॉक्टरों ने कैलाशी देवी को ड्रिप तो लगा दिया लेकिन उनको बेड उपलब्ध नहीं कराया। क्योकि उनके पास कथित तौर पर बेड की सैटिंगबाजी या कहें दलाली के लिये न तो पैसे नहीं थे और न ही वे किसी ऐसे व्यक्ति का यहां जानती थी। इसीलिए यह लाचार महिला मरीज अपने एक हाथ में ही ड्रिप तो दूसरे हाथ में बोतल थामकर हॉस्पिटल के चक्कर लगा रही थी।

जब डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता ने कैलाशी देवी को कैमरे में कैद करने और ऑन रिकार्ड उनकी समस्याओ से रूबरू होने की कोशिश की तो करीब आधा दर्जन हास्पिटल के बेड के सैटिंगबाजों ने कैमरा चलाने और महिला को बोलने से से मना कर दिया। कथित दलालों की इस करतूत ने अस्पताल प्रबंधन की उनसे सांठगांठ की पोल खोल दी। अस्पताल में ऐसे कई लाचार मरीज दिखे लेकिन सैटिंगबाजों ने किसी को भी बात करने से मना कर दिया। सबसे बड़ा सवाल यह कि आखिर अस्पताल में यह खेल कब तक जारी रहेगा। 










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