

महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है। ये त्योहार अक्सर फरवरी या मार्च में पड़ता है। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़िए पूरी खबर
नई दिल्ली: महाशिवरात्रि पूरे देश में मनाए जाने वाले सबसे प्रतिष्ठित त्योहारों में से एक है। यह भगवान शिव को समर्पित है, जो संहारक हैं और त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु, महेश में से एक हैं। ब्रह्मा सृष्टिकर्ता हैं, विष्णु प्रशासक हैं और महेश संहारक हैं।
भगवान शिव को मृत्युंजय के रूप में जाना जाता है। मृत्युंजय का मतलब है मृत्यु पर विजय पाने वाला। इसलिए भगवान शिव को 'प्राण' का प्रतीक कहा जाता है।
हिंदी पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ती है, जो अक्सर फरवरी या मार्च में आती है। इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार 26 फरवरी को मनाया जा रहा है। जानिए क्या हैं विशेष तिथि
तिथि और समय
चतुर्दशी तिथि की शुरूआत - 26 फरवरी, 2025 - 11:08am
चतुर्दशी तिथि समाप्त - 27 फरवरी, 2025 - 08:54am
निशिता काल पूजा समय - 27 फरवरी, 2025 - 12:08am से 12:58am
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि का अर्थ है "शिव की महान रात्रि"। परंपराओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था और 'गृहस्थ जीवन' में प्रवेश किया था। यह त्यौहार शिव-पार्वती के 'शुभ विवाह' के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
उपवास
महाशिवरात्रि पर उपवास मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने के साधन के रूप में किया जाता है। यह भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और समर्पण को भी दर्शाता है।
परंपराएं और अनुष्ठान
1. महाशिवरात्रि के दिन, भक्तों को स्नान करने के बाद नए कपड़े पहनने चाहिए और मिठाई, फूल, बेल पत्र, दूध, शहद, दही के साथ शिव मंदिर में पूजा करने जाना चाहिए। कई भक्त शिव की पूजा 'रुद्राभिषेक' से करते हैं।
2. मृत्युंजय जाप कम से कम 108 बार करने से जीवन में विशेष सकारात्मक प्रभाव आते हैं।
मृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
मंत्र का अर्थ
हम तीन आंखों वाले की पूजा करते हैं, जो सुगंधित है और जो सभी का पोषण करता है।
जैसे फल तने के बंधन से मुक्त हो जाता है, वैसे ही हम मृत्यु से, नश्वरता से मुक्त हो जाएं।
3. कुछ भक्त स्वास्थ्य और सुख समृद्धि प्राप्त करने के लिए इस दिन शिव पुराण भी पढ़ते हैं।
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ज्योतिषाचार्य प्रियंका कोठारी के अनुसार, महाशिवरात्रि पर अनार का जूस शिवलिंग पर चढ़ाने से चमत्कारी परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।