

इलाहाबाद का नाम अब केवल इतिहास के पन्नों में ही पढ़ने को मिलेगा। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इलाहाबाद शहर का नाम प्रयागराज करने के प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लग गई। डाइनामाइट न्यूज की इस स्पेशल रिपोर्ट में जानिये क्यों बदला गया नाम..
लखनऊ: सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया। इस कैबिनेट बैठक में इस नाम पर मुहर भी लगा दी गयी। अब इसके बाद शासनादेश जारी कर शहर में जहां-जहां भी इलाहाबाद नाम होगा उसकी जगह अब प्रयागराज लिखा जाएगा। योगी कैबिनेट के इस फैसले के बाद साधु-संतों में ख़ुशी का माहौल है।
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कैबिनेट मीटिंग के बाद प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने पर कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। सिर्फ जिले का ही नाम प्रयागराज नहीं होगा बल्कि जहां जहां भी इलाहाबाद नाम का प्रयोग किया गया है उसका भी नाम बदल जाएगा। मसलन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और इलाहाबाद जंक्शन का नाम भी बदल जाएगा।
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गौरतलब है इलाहाबाद का ऐतिहासिक नाम प्रयाग था। 1583 में मुगल शासक अकबर ने इसका नाम इलाहाबाद किया था। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने की मांग लंबे समय से साधु संत कर रहे थे। इतिहास के जानकारों की माने तो अकबर ने 1574 में गंगा के तट पर किले की नींव रखी थी, जो 1583 में तैयार हुआ था, तब इस शहर का नाम प्रयाग से बदलकर अल्लाहाबाद रखा था, जो बाद में इलाहाबाद कहलाने लगा।
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