लखनऊ: आंगनबाड़ी सहायिकाओं का ऐलान 'दाम नहीं, तो काम नहीं'

डीएन संवाददाता

आंगनबाड़ी सहायिकायें अपनी मांगो को लेकर लगातार सरकार के खिलाफ आंदोलनरत हैं। वह पिछले 25 दिनों से लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में अपनी मांगो को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं।



लखनऊ: वेतन वृद्धि और नियमितीकरण की मांगों को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकत्री और सहायिकाओं का अपनी प्रदर्शन लगातार 25 वें दिन भी जारी है। दरअसल आंगनबाड़ी कार्यकत्री और सहायिकायें विगत 16 अगस्त से ही अपनी मांगो को लेकर आंदोलनरत हैं। इससे पहले आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं ने राजधानी के जीपीओ पार्क में प्रदर्शन कर सांकेतिक रूप में भीख मांगकर अपना गुस्सा जताया था। आज आंगनबाड़ी सहायिकाओं ने 'दाम नहीं, तो काम नहीं'  का ऐलान किया। 

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वेतन से नहीं होता परिवार का गुजारा

डाइनामाइट न्यूज़ को आंगनबाड़ी कार्यकत्री और सहायिका संघ की प्रदेश कार्यालय मंत्री मीरा अवस्थी ने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों के पास पुष्टाहार वितरण, मतदाता पुनरीक्षण और पल्स पोलियों अभियान के तहत बच्चों को पोलियो ड्राप पिलाने का काम होता है। इतने महत्वपूर्ण काम के बदले में उन्हें मात्र साढ़े तीन हजार मासिक वेतन मिलता है, जिससे आज के समय में परिवार का गुजारा चलाना बेहद मुश्किल है।

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वेतन वृद्धि की मांग

डायनामाइट न्यूज़ से बातचीत में मीरा अवस्थी ने बताया की विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा ने यूपी में सरकार बनने पर आंगनबाड़ी कार्यकत्री और सहायिकाओं को सरकार बनने पर सम्मानजनक वेतन देने की बात कही थी, लेकिन सरकार बनने के बाद भी सरकार उनकी मांगो पर ध्यान नहीं दे रही है। उन्होनें मांग की कि सरकार आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को 20 हजार वेतन, मिनी आंगनबाड़ी को 15 हजार और सहायिकाओं को 10 हजार रूपये वेतन दे। साथ ही उनकी पीएफ, पेंशन और जीआईएस की मांगे सरकार के पास लम्बित हैं, सरकार इन मांगो पर जल्द फैसला ले।

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वेतन न बढ़ाने पर प्रदेश व्यापी हड़ताल

आंगनबाड़ी सहायिकाओं ने बताया की उनकी वेतन वृद्धि और नियमितीकरण की मांग पूरी तरह से न्यायसंगत है। उन्होने कहा कि यदि सरकार जल्द उनकी मांगो पर कोई फैसला नही करती तो वे प्रदेश व्यापी हड़ताल को बाध्य हो जायेंगे।










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