जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने रतले परियोजना से राजस्थान को बिजली देने के फैसले पर सवाल उठाए

डीएन ब्यूरो

जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों के नेताओं ने किश्तवाड़ में रतले बिजली परियोजना से राजस्थान को बिजली की आपूर्ति करने के प्रशासन के फैसले पर शनिवार को सवाल उठाया और कहा कि केंद्र शासित प्रदेश खुद ही “गंभीर बिजली संकट” का सामना कर रहा है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

राजस्थान को बिजली देने के फैसले पर सवाल उठाए
राजस्थान को बिजली देने के फैसले पर सवाल उठाए


श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों के नेताओं ने किश्तवाड़ में रतले बिजली परियोजना से राजस्थान को बिजली की आपूर्ति करने के प्रशासन के फैसले पर शनिवार को सवाल उठाया और कहा कि केंद्र शासित प्रदेश खुद ही “गंभीर बिजली संकट” का सामना कर रहा है।

रतले पनबिजली निगम लिमिटेड (आरएचपीसीएल) राष्ट्रीय जल विद्युत निगम (एनएचपीसी)और जम्मू कश्मीर राज्य विद्युत विकास निगम (जेकेएसपीडीसी) का एक संयुक्त उद्यम है।

आरएचपीसीएल ने किश्तवाड़ स्थित जल विद्युत परियोजना से 850 मेगावाट बिजली देने के लिए राजस्थान ऊर्जा विकास और आईटी सर्विसेज लिमिटेड के साथ एक बिजली खरीद समझौता (पीपीए) किया है।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘ ऐसे समय में जब जम्मू-कश्मीर जबरदस्त बिजली संकट का सामना कर रहा है, हमारे जलविद्युत संसाधनों को अन्य राज्यों को दिया जा रहा है। एक और निर्णय जो जम्मू कश्मीर के निवासियों को सामूहिक रूप से दंडित करने के इरादे से लोगों की बुनियादी सुविधाओं को छीन लेगा।’’

पीपीए पर तीन जनवरी को जयपुर में आरएचपीसीएल, राजस्थान ऊर्जा विकास और आईटी सर्विसेज लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए थे।

इस बीच, अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने कहा कि राजस्थान को बिजली देने का फैसला हैरान करने वाला है।

बुखारी ने ‘एक्स’ पर लिखा, 'ऐसे समय में जब पूरा जम्मू-कश्मीर विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में गंभीर बिजली संकट का सामना कर रहा है, रतले बिजली परियोजना, किश्तवाड़ से राजस्थान को बिजली देने की खबर काफी हैरान करने वाली है।”

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन को तथ्य स्पष्ट करने चाहिए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर प्रशासन बार-बार यह दावा करता रहा है कि वह केंद्र शासित प्रदेश में मांगों को पूरा करने के लिए अन्य राज्यों से बिजली की आपूर्ति कर है, जबकि साथ ही अपनी खुद की बिजली दूसरे राज्यों को देना समझ से परे है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन से तथ्यों पर स्पष्टीकरण देने का आग्रह करता हूं।”










संबंधित समाचार