Jaipur Literature Festival 2023: बुकर पुरस्कार विजेता गीतांजलि श्री बोलीं- भाषा की सरहदें सख्त न हों, पढ़िये पूरी रिपोर्ट

बुकर पुरस्कार विजेता गीतांजलि श्री ने यहां शनिवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) में कहा कि भाषा की सरहदें सख्त नहीं होनी चाहिए। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 21 January 2023, 2:03 PM IST
google-preferred

जयपुर: किसी भी भाषा की समृद्धि के लिए उसमें लोच और रवानगी को महतवपूर्ण बताते हुए 'रेत समाधि' की लेखिका एवं बुकर पुरस्कार विजेता गीतांजलि श्री ने यहां शनिवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) में कहा कि भाषा की सरहदें सख्त नहीं होनी चाहिए।

गीतांजलि श्री ने कहा कि भाषा के शुद्धिकरण के चक्कर में लोग भूल जाते हैं कि भाषा में जितना लचीलापन, जितनी गति और रवानी रहेगी, भाषा उतनी ही समृद्ध होगी।

उन्होंने भाषा में नए प्रयोगों और रूढ़िवादी परपंराओं को तोड़ने की भी हिमायत की।

गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘रेत समाधि’ स्वयं कथा कहन की एक अलग परंपरा के साथ लिखा गया है, जिसमें भाषाई स्तर पर एक नया ढांचा और नया शिल्प गढ़ा गया है।

उन्होंने कहा, ''भाषा को शुद्ध करने के प्रयासों में जुटे लोग भाषा को संकुचित कर रहे हैं। हिंदी का मस्त मलंग तेवर है, इसे शुद्ध करने की कवायद, इस भाषा को संकीर्ण करना है, जो एक प्रकार की बीमारी है।”

गीतांजलि श्री का कहना है कि लेखक और आम जनता का रिश्ता भाषा की व्याकरण से नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति से होता है।

उन्होंने ‘रेत समाधि’ में किए गए प्रयोगों के संबंध में संगीत और सिनेमा जगत में महारत रखने वाले कवि एवं विद्वान यतीन्द्र मिश्रा के एक सवाल पर कहा, “उपन्यास में अपनाई गई शैली सायास नहीं है, बल्कि वह मन के उद्गार हैं, जिन्होंने खुद को व्यक्त करने के लिए खुद ही एक नया शिल्प गढ़ा है। यह कहीं से भी बनावटी नहीं है।”

गीतांजलि श्री ने 'एक हिंदी, अनेक हिंदी' सत्र में साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता अनामिका के साथ हिस्सा लेते हुए यह विचार व्यक्त किए।

'टोकरी में दिगंत' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित अनामिका ने इंद्रजाल (इंटरनेट) के जमाने की हिंदी पर कहा कि इस नए चलन ने भाषायी पदानुक्रम को तोड़ा है और एक प्रकार की भाषायी खिचड़ी पकाई है।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार खिचड़ी एक सुस्वादु और सुपाच्य भोजन है, लेकिन उसमें कंकड़ आने पर स्वाद बिगड़ जाता है, उसी तरह इंद्रजाल की खिचड़ी हिंदी में स्वाद बना रहना चाहिए, उसमें यह देखना होगा कि कंकड़ न आए।

इसी कड़ी में गीतांजलि श्री ने कहा कि इंटरनेट के दौर में हिंदी भाषा के बर्ताव में एक किस्म का फौरीपना है, जिसे लेकर सचेत होने की जरूरत है कि कहीं इससे भाषाई लज्जत न बिगड़ जाए।

No related posts found.