कुशीनगरः स्टिंग ऑपरेशन से लेखपाल की काली करतूतों का हुआ पर्दाफाश.. नौकरी नहीं हो रही दलाली
उत्तर प्रदेश के सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार के नशे में कुछ अधिकारी किस कदर चूर हो चुके हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अगर किसी को भी कोई सरकारी काम करवाना हो तो बिना अधिकारियों की जेब गर्म किये बिना उसका काम बनना असंभव है। कुशीनगर में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़ें लेखपाल की काली करतूतों के बारे में
कुशीनगर: उत्तर प्रदेश में सरकारी अधिकारी किस तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शहर हो या फिर गांव जहां भी विभागीय अधिकारियों को मौका मिल रहा है वहीं रिश्वत का खेल दबाकर चल रहा है। ताजा मामला कुशीनगर के तमकुहीराज थाना क्षेत्र का है यहां बांसगांव में भ्रष्टाचार चरम पर है। प्रशासन कि तरह से जनता के साथ खिलवाड़ कर रहा है यह वीडियो में साफ तौर पर झलक रहा है।
यहां गांव में ग्रामीणों ने एक लेखपाल का स्टिंग ऑपरेशन कर उसके काले कारनामे को उजागर किया है। रिश्वत लेते हुये जिस तरह से लेखपाल के चेहरे पर हंसी नजर आ रही है उससे साफ दिख रहा है कि यह सरकारी कर्मचारी किस तरह से अपने पद का दुरुपयोग कर मासूम जनता के साथ नाइंसाफी कर उनके साथ खिलवाड़ कर रहा है। यहां गांव में तैनात लेखपाल हीरालाल क्रबिस्तान की पैमाइश के नाम पर एक ग्रामीण ने जब 10 हजार रुपये की मोटी रिश्वत ले रहा था तो किसी ने रिश्वत लेते हुये लेखपाल का यह वीडियो अपने कैमरे में कैद कर लिया। फिर क्या था देखते ही देखते पूरे क्षेत्र में यह वीडियो आग की तरह वायरल हो गया।
गांव में सरकारी अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी यहां पिछले 3 माह में 2 अन्य लेखपालों को रिश्वत लेते हुये रंगेहाथों गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले लेखपाल राजेश यादव का स्टिंग ऑपेरशन किया गया था। जिसे खुलेआम घूस लेते हुए पकड़ कर प्रशासन को सौंपा गया था। इस पर संबंधित एसडीएम ने उस लेखपाल का स्थान्तरण कर अपना पिंड छुड़ा लिया।
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अब तीन महीने के भीतर अब लेखपाल हीरालाल का स्टिंग ऑपरेशन में खुलेआम रिश्वत लेने से एक बार फिर से गांव में सरकारी अधिकारियों की न सिर्फ बदनामी हो रही है बल्कि इनकी काली करतूतों की असलियत भी ग्रामीणों के सामने एक के बाद एक बेनकाब हो रही है। मामले में अभी प्रशासन ने मौन साधा हुआ है। अब देखना ये है कि इस लेखपाल के खिलाफ कब विभागीय कार्रवाई होती है और ग्रामीणों के साथ हो रहे फर्जीवाड़े से कब लगाम लगती है।