गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर कोविंद, वेंकैया और मोदी ने दी शुभकामनाएं

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने गुरुवार को सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती पर उन्हें नमन किया तथा देशवासियों को प्रकाश पर्व की शुभकामनाएं दी।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 2 January 2020, 11:01 AM IST
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नई दिल्ली: राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने गुरुवार को सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती पर उन्हें नमन किया तथा देशवासियों को प्रकाश पर्व की शुभकामनाएं दी। कोविंद ने ट्वीट कर कहा गुरु गोविन्‍द सिंह जी को उनकी जयन्‍ती पर मेरी श्रद्धांजलि। उनका जीवन लोगों की सेवा और सत्‍य, न्‍याय एवं करुणा के जीवन-मूल्यों के प्रति समर्पित रहा। गुरु गोविन्‍द सिंह जी का जीवन और शिक्षाएं हमें आज भी प्रेरित करती हैं।

नायडू ने कहा आज गुरु गोविंद सिंह जी की जन्म जयंती के पावन अवसर पर पूज्य गुरु की स्मृति को सादर नमन करता हूं तथा देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। गुरु गोविंद सिंह जी का जीवन संदेश तथा उनके कृतित्व हमारे राष्ट्रीय सामाजिक और निजी जीवन में आज भी अनुकरणीय हैं। उनकी शिक्षा हमारे राष्ट्रीय जीवन का मार्ग दर्शन करे और हमें प्रेरणा दे कि हम मानवता के काम आ सकें।

मोदी ने ट्वीट किया हम पूज्य  गुरु गोविंद सिंह जी को उनके प्रकाश पर्व पर नमन करते हैं। उन्होंने इस अवसर पर वीडियो संदेश भी पोस्ट किया जिसमें उन्होंने कहा, “साथियों आज गुरु गोविंद सिंह महाराज का प्रकाश पर्व देश मना रहा है। खालसा पंथ के सृजनहार, मानवता के पालनहार, भारतीय मूल्यों के लिए समर्पित गुरु गोविंद सिंह जी को मैं श्रद्धा पूर्वक नमन करता हूं। गुरु गोविंद सिंह जी के व्यक्तित्व में अनेक विधाओं का संगम है, वो गुरु तो थे ही, भक्त भी श्रेष्ठ थे, वो जितने अच्छे योद्धा थे उतने ही बेहतरीन कवि और साहित्यकार भी थे। 

अन्याय के विरूद्ध उनका जितना कड़ा रुख था, उतना ही शांति के लिए भी आग्रह था। मानवता की रक्षा के लिए, राष्ट्र की रक्षा के लिए और धर्म की रक्षा के लिए उनके सर्वोच्च बलिदान से देश और दुनिया परिचित है। वीरता के साथ उनकी जो धीरता थी धैर्य था वो अद्भुत था। वे संघर्ष करते थे लेकिन त्याग की पराकाष्ठा अभूतपूर्व थी। वे समाज में बुराईयों के खिलाफ लड़ते थे, ऊंच-नीच का भाव, जातिवाद का जहर उसके खिलाफ भी गुरु गोविंद सिंह जी ने संघर्ष किया। यही सारे मूल्य नए भारत के निर्माण के मूल में हैं। मुझे विश्वास है कि हम सभी गुरु जी के बताये मार्ग से नये भारत के अपने संकल्प को और मजबूत करेंगे। (वार्ता)