Kathua Gangrape Case: कठुआ रेप केस में सुप्रीम कोर्ट का आदेश, कहा- रकम को विधिक सहायता कोष में कराएं जमा

डीएन ब्यूरो

उच्च न्यायालय ने अपने पंजीयक को निर्देश दिया कि मीडिया संस्थानों द्वारा जमा करायी गयी रकम यौन हिंसा की पीड़िताओं के लिए बने एक कोष में अंतरित की जाए। पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फ़ोटो
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नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने पंजीयक को निर्देश दिया कि मीडिया संस्थानों द्वारा जमा करायी गयी रकम यौन हिंसा की पीड़िताओं के लिए बने एक कोष में अंतरित की जाए।

कठुआ में सामूहिक दुष्कर्म के बाद आठ साल की लड़की की हत्या कर दी गई थी। पीड़िता की पहचान उजागर करने को लेकर अदालत ने मीडिया संस्थानों की आलोचना की थी।

दो मीडिया संस्थानों ने हाल में अदालत में 10-10 लाख रुपये जमा कराये थे और कुछ अन्य संस्थानों ने पहले ही ऐसा किया था। हाल में एक आदेश में अदालत ने कहा कि यह धनराशि जम्मू कश्मीर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पीड़िता क्षतिपूर्ति कोष में दी जानी चाहिए।

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मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत के महापंजीयक को निर्देश दिया जाता है कि इस मामले में प्रतवादी संख्या आठ, 28 एवं अन्य प्रतिवादियों द्वारा जमा करायी गयी रकम, यदि अब भी ऐसी कोई धनराशि अदालत के पास पड़ी है तो, उसे वह जम्मू कश्मीर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पीड़िता क्षतिपूर्ति कोष में अंतरित करवाएं ताकि उसे यौन हिंसा की पीड़िताओं तथा इस हिंसा में जान गंवाने वाली महिलाओं/ युवतियों/लड़कियों के परिजनों के बीच वितरित किया जा सके।’’

मीडिया में इस बारे में खबरें आने के बाद उच्च न्यायालय ने अप्रैल 2018 में स्वत: संज्ञान लेते हुए कई मीडिया संस्थानों को नाबालिग लड़की की पहचान उजागर करने को लेकर नोटिस जारी किया था। उसने उन्हें आगे से पीड़िता की पहचान को उजागर करने से भी रोक दिया।

मीडिया संस्थानों ने इसके बाद अदालत से माफी मांगी थी। उनके वकील ने कहा था कि उनके मुवक्किल अपनी नेकनीयती स्थापित करने के लिए पैसा देने को इच्छुक हैं जिसे यौन हिंसा पीड़ितों और उनके परिवारों के बीच क्षतिपूर्ति के रूप में बांटने के लिए इस्तेमाल किया जाए।

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इस सप्ताह के शुरू में 13 फरवरी को अपने आदेश में, उच्च न्यायालय ने कहा कि पक्षकारों के वकील ने कहा कि जिन मीडिया हाउसों को नोटिस जारी किए गए थे, उन्होंने अप्रैल 2018 के निर्देश का अनुपालन किया और इस मामले में आगे कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है।

जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले में 10 जनवरी 2018 को आठ साल की एक बच्ची अपने घर के पास से लापता हो गयी थी और एक सप्ताह बाद उसी इलाके में उसका शव बरामद हुआ था। जम्मू कश्मीर पुलिस के आरोपपत्र में खुलासा किया गया था कि कथित रूप से उस लड़की को अगवा किया गया था, उसे नशीला पदार्थ देकर उसके साथ एक धर्मस्थल के अंदर बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई।










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