Karnataka High Court: फिल्म निर्माताओं, BBC के खिलाफ आरोप तय किए

कर्नाटक उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए वृत्तचित्र फिल्म निर्माता अमोघवर्ष जे एस, शरत चंपति, प्रसारक बीबीसी, डिस्कवरी और नेटफ्लिक्स सहित अन्य के खिलाफ आरोप तय किए हैं। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 19 January 2024, 4:55 PM IST
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बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए वृत्तचित्र फिल्म निर्माता अमोघवर्ष जे एस, शरत चंपति, प्रसारक बीबीसी, डिस्कवरी और नेटफ्लिक्स सहित अन्य के खिलाफ आरोप तय किए हैं।

उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को अदालत की अवमानना के दीवानी मामले में आरोप तय किए, जिसमें फिल्म निर्माताओं और प्रसारकों पर वृत्तचित्र फिल्म ‘वाइल्ड कर्नाटक’ के रिलीज और प्रसारण के संबंध में अदालत के 2021 के अंतरिम आदेश की अवज्ञा करने का आरोप है।

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मामले में मूल शिकायतकर्ता--रवींद्र एन रेडकर और उल्लास कुमार आर के-- हैं।

मडस्किपर लैब्स और आईटीवी स्टूडियोज ग्लोबल ने 2014 में एक वृत्तचित्र फिल्म बनाने के लिए कल्याण वर्मा और अमोघवर्ष से संपर्क किया था।

वृत्तचित्र की शूटिंग के लिए कर्नाटक वन विभाग (KFD) के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद, आरोपी ने कथित तौर पर बिना कोई शुल्क चुकाए परिवहन और शूटिंग अनुमति जैसी केएफडी की सेवाओं का इस्तेमाल किया।

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि शुल्क माफ कराने के लिए आवश्यक अनुमति नहीं ली गई।

एमओयू के तहत वृत्तचित्र और असंपादित फुटेज के कॉपीराइट केएफडी के पास हैं, लेकिन फिल्म निर्माताओं ने उसकी (KFD) की जानकारी के बिना इंग्लैंड और वेल्स की आइकन फिल्म्स को परियोजना में शामिल कर लिया।

कंपनियों ने प्रसारण के लिए बीबीसी (BBC), डिस्कवरी और नेटफ्लिक्स (Netflix) के साथ समझौता किया, हालांकि केएफडी ने निर्दिष्ट किया था कि फिल्म का व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जाएगा। यह फिल्म सिनेमाघरों में भी रिलीज हुई थी।

याचिकाकर्ताओं/शिकायतकर्ताओं ने दावा किया कि मूल फुटेज 400 घंटे की थी और केएफडी के पास सभी असंपादित फुटेज पर कॉपीराइट था।

उच्च न्यायालय ने 29 जून, 2021 को याचिका में एक अंतरिम आदेश पारित किया और सभी उत्तरदाताओं को फिल्म के प्रकाशन या प्रसारण से रोक दिया।

फिल्म हालांकि सिनेमाघरों में रिलीज हुई और प्रसारण मंच पर प्रसारित हुई। इसके बाद शिकायतकर्ता ने उच्च न्यायालय के समक्ष अवमानना याचिका दायर की।

मूल याचिका अब भी उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है।

उत्तरदाताओं ने 17 जनवरी को बताया कि वे केएफडी को मुआवजा देने को तैयार हैं।

बीबीसी ने मुआवजे के रूप में 3.5 लाख रुपये और नेटफ्लिक्स ने 4.5 लाख रुपये की पेशकश की।

आइकन फिल्म्स और डिस्कवरी ने भी टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन को 3.5 लाख रुपये की पेशकश की। फिल्म निर्माताओं और अन्य आरोपियों ने मुआवजा देने का भी वादा किया।

हालांकि, उच्च न्यायालय इस बारे में याचिकाकर्ताओं के वकील से सहमत है कि ‘‘आरोपियों द्वारा दिये गए मुआवजे के आलोक में माफी दिखावटी प्रतीत होती है’’, और आरोप तय करने का फैसला किया।

मामले में आगे की सुनवाई आठ फरवरी को होगी।