जौनपुर: विवाद के बाद भी पुलिस ने नहीं दर्ज की शिकायत, यहां एसपी की लगानी पड़ती है गुहार

देश में जहाँ अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं वहीं पुलिस अब भी गंभीर नहीं दिख रही है। पुलिस अक्सर आपराधिक मामले दर्ज करने में आना-कानी करती रही है। जौनपुर में यह स्थिति आ गई है कि पीड़ितों को अपनी शिकायत सीधे एसपी के पास ले जानी पड़ रही है।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 5 January 2019, 4:41 PM IST
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जौनपुर: जनपद में कानून व्यवस्था इस हद तक खराब हो चुकी है कि बिना एसपी के हस्तक्षेप के किसी भी थाने में सुनवाई नहीं हो रही है। पीड़ित थाने के चक्कर काट-काट कर परेशान हो गए हैं लेकिन कोई उनकी सुन नहीं रहा है। मजबूर होकर उन्हें अपनी शिकायत एसपी के पास लेकर आनी पड़ रही है।

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एफआईआर की कॉपी

ऐसा ही एक मामला थाना केराकत से आया है जहाँ दो परिवारों के बीच विवाद चल रहा है। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज नहीं की इस लिए उन्हें एसपी के पास गुहार लगानी पड़ी। खबर है कि पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जहाँ पुलिस पहले भी शिकायत दर्ज करने से मना कर चुकी है। बाद में एसपी के हस्तक्षेप के बाद कार्रवाई की गई।

क्या है पूरा मामला

जमीनी विवाद में दो पाटीदारों का मकान पर कब्जा करने का मामला सामने आया है। महिला का आरोप है कि उसके घर आकर तोड़-फोड़ की गई। पीड़ित महिला ने रात एक बजे इसकी शिकायत 100 नंबर पर की थी लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। आखिरकार महिला को एसपी के पास गुहार लगानी पड़ी।

निलोफर बेगम का कहना है कि उसके बगल के पाटीदार मैनुद्दीन के पुत्र कुत्तुबुदीन (बाबू) और समसुद्दीन के पुत्र नसीरुद्दीन सन्नों बेगम के आबादी में बने मकान पर कब्जा कर रहे हैं। 

सन्नों बेगम का आरोप है कि रात के करीब एक बजे बगल के पाटीदार आलम के पुत्र ने उसके घर पर घुसकर तोड़-फोड़ की। आरोप है कि पाटीदार आलम का पुत्र अब्दुल समद आलम के इशारे पर छत के रास्ते घर में घुस आया। उसने घर में तोड़-फोड़ की। घर में शादी के लिए जो जेवरात और पैसे रखे थे उसको भी उठाकर ले गए। बाहर से ताला लगा दिया। महिला ने 100 नंबर पर फोन किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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महिला का कहना है कि पाटीदार और उसके परिवार के बीच जायदाद को लेकर विवाद है। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। महिला का आरोप है कि पाटीदार उन पर मकान खाली करने का दबाव डाल रहे हैं। उन्होंने उसे अपने रिश्तेदारों को बुलाने के लिए कहा। साथ ही उन्हें पंद्रह दिन की मोहलत देते हुए कहा कि जगह खाली कर दें। महिला ने जब कहा कि पहले कोर्ट का फैसला आने दे तो पाटीदार ने कोतवाल को बुलाकर सामने वाले दरवाजे पर ताला लगा दिया और पीछे वाला दरवाजा इस्तेमाल करने को कहा। पीड़ित महिला का आरोप है कि केराकत कोतवाली में उसकी कोई सुन नहीं रहा है।
 

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