महत्वपूर्ण है कि इजराइल-हमास युद्ध क्षेत्रीय संघर्ष का रूप न ले: प्रधानमंत्री मोदी

डीएन ब्यूरो

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इजराइल-हमास युद्ध क्षेत्रीय संघर्ष का रूप न ले और इस बात पर जोर दिया कि इजराइल-फलस्तीन मुद्दे को दो-राष्ट्र समाधान के साथ हल करना आवश्यक है। पढ़िए डाईनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

इजराइल-हमास युद्ध क्षेत्रीय संघर्ष का रूप न ले
इजराइल-हमास युद्ध क्षेत्रीय संघर्ष का रूप न ले


नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इजराइल-हमास युद्ध क्षेत्रीय संघर्ष का रूप न ले और इस बात पर जोर दिया कि इजराइल-फलस्तीन मुद्दे को दो-राष्ट्र समाधान के साथ हल करना आवश्यक है।

पश्चिम एशिया में व्याप्त असुरक्षा और अस्थिरता पर चिंता जताते हुए जी20 नेताओं के डिजिटल शिखर सम्मेलन में मोदी ने कहा कि आतंकवाद हर किसी के लिए अस्वीकार्य है और नागरिकों खासकर बच्चों और महिलाओं की मौत चाहे कहीं भी हो, निंदनीय है।

प्रधानमंत्री ने बंधकों की रिहाई की घोषणा की खबर का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि उन्हें जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मानवीय सहायता यथाशीघ्र प्रभावी ढंग से और सुरक्षित रूप से पहुंचाई जानी चाहिए।

मोदी ने अपने शुरुआती संबोधन में कहा, ‘‘मानवीय सहायता की समय पर और निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना आवश्यक है। यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि इजराइल और हमास के बीच युद्ध क्षेत्रीय संघर्ष का रूप न ले।’’

बाद में, अपनी समापन टिप्पणी में उन्होंने इजराइल-फलस्तीन विवाद को समाप्त करने के लिए दो-राष्ट्र समाधान की वकालत की और कहा कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए यह आवश्यक है।

जी20 के सभी नेताओं के विचार सुनने के बाद मोदी ने कहा कि पश्चिम एशिया की गंभीर स्थिति के संबंध में कई मुद्दों पर उनके बीच सहमति है और सर्वसम्मति के बिंदुओं का जिक्र किया। उन्होंने नेताओं के बीच सहमति के सात बिंदुओं में से एक का जिक्र करते हुए कहा कि क्षेत्रीय-राजनीतिक तनाव को कम करने का एकमात्र साधन कूटनीति और बातचीत है।

उन्होंने कहा कि जी20 इन मुद्दों पर हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि विश्व नेताओं ने इसके विकास एजेंडे के अलावा वैश्विक स्थिति के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पर विचार साझा किए।

जी20 देशों के नेताओं के डिजिटल तरीके से आयोजित शिखर सम्मेलन में ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलिना जॉर्जीवा सहित अन्य ने हिस्सा लिया।

मोदी ने कहा, ‘‘हमारा एक साथ आना दिखाता है कि हम सभी मुद्दों के प्रति संवेदनशील हैं और उनके समाधान के लिए एक साथ खड़े हैं। हमारा मानना है कि आतंकवाद हमारे लिए अस्वीकार्य है। नागरिकों की मौत, चाहे वह कहीं भी हो, निंदनीय है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम बंधकों की रिहाई की खबर का स्वागत करते हैं। हमें उम्मीद है कि सभी बंधकों को जल्द रिहा कर दिया जाएगा।’’

प्रधानमंत्री ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के वैश्विक विनियमन का आह्वान करते हुए कहा कि उभरती प्रौद्योगिकी के नकारात्मक उपयोग को लेकर चिंताएं सामने आईं हैं।

मोदी ने कहा, ‘‘एआई के नकारात्मक उपयोग पर दुनिया भर में चिंताएं बढ़ रही हैं। भारत की सोच स्पष्ट है, हमें एआई के वैश्विक विनियमन पर मिलकर काम करना होगा। हमें समाज और व्यक्तियों के लिए ‘डीपफेक’ से उत्पन्न खतरों को समझना चाहिए और कदम उठाने चाहिए।’’

उन्होंने जी20 नेताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘पिछले साल 16 नवंबर को जब इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने मुझे औपचारिक तौर पर जी20 की अध्यक्षता सौंपी थी तब मैंने कहा था कि हम इस मंच को समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई उन्मुख और निर्णायक बनाएंगे। एक साल में, हमने एक साथ मिलकर यह हासिल किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी मिलकर जी20 को नयी ऊंचाइयों पर ले गए हैं।’’

मोदी ने कहा कि अविश्वास और चुनौतियों से भरी इस दुनिया में, यह विश्वास ही है जो सभी को एक साथ बांधता है।

उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में हमने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य' पर भरोसा जताया है और विवादों से दूर जाते हुए हमने एकता और सहयोग के साथ काम किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं उस क्षण को कभी नहीं भूल सकता जब दिल्ली में हम सभी ने जी20 में अफ्रीकी संघ का स्वागत किया था। जी20 द्वारा दुनिया को दिया गया समावेशिता का यह संदेश अभूतपूर्व है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह भारत के लिए गर्व की बात है कि उसकी अध्यक्षता में अफ्रीका को एक आवाज दी गई। जी20 में पिछले एक साल में ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज भी सुनी गई है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी के विश्व को आगे बढ़ते हुए ‘ग्लोबल साउथ’ की चिंताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी क्योंकि ‘ग्लोबल साउथ’ के देश ऐसी अनेक कठिनाइयों से गुजर रहे हैं जिनके लिए वे जिम्मेदार नहीं है।

उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में समय की मांग है कि हम विकास के एजेंडे को अपना पूर्ण समर्थन दें और वैश्विक अर्थव्यवस्था और शासन तंत्र को बड़ा, बेहतर, प्रभावी बनाएं और भविष्य के मद्देनजर उनमें सुधार लाएं।

‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित देश के रूप में जाना जाता है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जरूरतमंद देशों को समय से और आसान दरों पर सहायता सुनिश्चित करें। 2030 के सतत विकास लक्ष्यों में तेजी लाने के लिए अपनायी गयी कार्य योजना को क्रियान्वित करें।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि जी20 ने बहुपक्षवाद में विश्वास बढ़ाया है और वैश्विक शासन सुधारों को एक दिशा दी गई है।

भारत में आकांक्षी जिला कार्यक्रमों को स्थानीय स्तर पर सतत विकास लक्ष्यों में प्रगति का एक उत्तम उदाहरण बताते हुए मोदी ने जी20 देशों को इसके अध्ययन के लिए आमंत्रित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘आप देखिएगा कि कैसे इस एक अभियान ने भारत के 25 करोड़ लोगों का जीवन बदल दिया है।’’

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार ब्राजील के अगले महीने जी20 की अध्यक्षता संभालने की तैयारी के बीच, उन्होंने लूला को अपनी शुभकामनाएं दीं और विश्वास जताया कि वह वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए ‘‘वसुधैव कुटुंबकम’’ की भावना के साथ एकजुट होकर काम करेंगे।










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