Indonesia: आध्यात्मिक और धार्मिक सोच से हो सकता है बीमारी का ईलाज! पढ़िए पूरी खबर
जावा के लोगों के लिए बीमारी से जूझने में संस्कृति और धर्म मददगार साबित हो सकते हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
इंडोनेशिया: जावा के लोगों के लिए बीमारी से जूझने में संस्कृति और धर्म मददगार साबित हो सकते हैं।
जावा में मधुमेह से जूझ रहे लोगों के लिए आध्यात्मिकता और धर्म स्वास्थ्य संबंधी उनकी इस स्थिति के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जावा के लोग अत्यधिक आध्यात्मिक सोच रखते हैं और उनका मानना है कि बीमारी समेत दुनिया में जो कुछ भी होता है उसके पीछे कोई दिव्य उद्देश्य होता है। उनका मानना है कि यदि वे धैर्य के साथ अपनी बीमारी को सहन करेंगे, तो ईश्वर उनके पापों को माफ कर देगा।
इस सोच के कारण बीमारी ने अपनी स्थिति को भगवान की इच्छा के रूप में स्वीकार करने की व्यक्ति की क्षमता बढ़ा दी है। इसके कारण जावा के लोग मधुमेह से निपटने संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए स्वयं जागरुक है और बीमारी के बावजूद अपनी दैनिक गतिविधियों का आनंद ले रहे हैं।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार सामाजिक एकजुटता और सामाजिक समर्थन भी मधुमेह के प्रबंधन में महत्वपूर्ण पहलू हैं।
अध्ययनों से पता चलता है कि मधुमेह से पीड़ित लोगों के सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं ने बीमारी पैदा होने और इससे जुड़ी जटिलताओं में भी योगदान दिया है। उदाहरण के लिए, जावा के लोगों के लिए सामाजिक संबंध महत्वपूर्ण हैं और सामाजिक समारोहों का निमंत्रण स्वीकार करने पर मरीज के निर्धारित आहार से अलग वस्तुओं का सेवन करने की संभावना अधिक होती है।
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यदि मधुमेह का इलाज न किया जाए तो इसके कारण कई जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। इससे दिल का दौरा पड़ सकता है, गुर्दे काम करना बंद कर सकते हैं और आंखों की रोशनी पर असर पड़ सकता है।
वैश्विक स्तर पर मधुमेह के मामले बढ़ रहे हैं। इससे 52 करोड़ लोग प्रभावित हैं और 2050 में 1.3 अरब लोगों के इससे पीड़ित होने की आशंका है। इंडोनेशिया में एक करोड़ 95 लाख लोग इससे प्रभावित हैं।
इंडोनेशिया में और विशेष रूप से जावा के लोगों की संस्कृति में महिलाओं का जीवन परिवार के कल्याण के लिए पारंपरिक रूप से समर्पित है, इसलिए सांस्कृतिक अपेक्षाओं और सामाजिक मानकों के कारण वे स्वतंत्र जीवन नहीं जी सकतीं। अक्सर यह माना जाता है कि एक महिला का सबसे बड़ा गुण उसका अपने पति और भगवान के प्रति समर्पण है।
वर्ष 2022 में किए गए मानव जाति विज्ञान संबंधी एक अध्ययन के अनुसार, बीमारी को भगवान (अल्लाह) को सौंपने और धैर्य रखने की कोशिश करने की अवधारणा मधुमेह से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कुछ लोगों का मानना है कि उनकी बीमारी ईश्वर की ओर से उनकी एक परीक्षा है और यह सोच उन्हें इसके बारे में बहुत अधिक चिंता करने से रोकने में मदद करती है।
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इससे पहले भी अध्ययनों में यह साबित हुआ है कि मधुमेह के मरीज अपनी बीमारी से निपटने के लिए धर्म एवं आध्यात्मिकता का सहारा लेते है।
मधुमेह के बढ़ते मामले और इसके शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव स्पष्ट करते हैं कि अभी तक अपनाए गए निवारक दृष्टिकोण पर्याप्त नहीं हैं।
ऐसा व्यापक दृष्टिकोण लागू किया जा सकता है जिसके तहत मधुमेह से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कदमों को उठाते समय सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को भी ध्यान में रखा जाए।