वित्तीय समावेश किस तरह कारगर है, भारत इसका बहुत अच्छा उदाहरण : जर्मन राजनयिक

डीएन ब्यूरो

जर्मनी के एक राजनयिक ने कहा है कि भारत इस बात का बहुत अच्छा उदाहरण है कि वित्तीय समावेश कैसे लाया जाता है और उसे इस अनुभव को पूरी दुनिया से साझा करना चाहिए। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

जर्मनी के महा वाणिज्य दूत मैनफ्रेड ऑस्टर
जर्मनी के महा वाणिज्य दूत मैनफ्रेड ऑस्टर


कोलकाता: जर्मनी के एक राजनयिक ने कहा है कि भारत इस बात का बहुत अच्छा उदाहरण है कि वित्तीय समावेश कैसे लाया जाता है और उसे इस अनुभव को पूरी दुनिया से साझा करना चाहिए।

कोलकाता में हाल में हुई जी20 की एक बैठक में भाग लेने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल जर्मन राजनयिक ने कहा कि भारत ने इंडोनेशिया से जी20 की अध्यक्षता ऐसे समय में संभाली है जब वैश्विक विकास के लिए महत्वपूर्ण समय है।

कोलकाता में जर्मनी के महा वाणिज्य दूत मैनफ्रेड ऑस्टर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘भारत इस बात का बहुत अच्छा उदाहरण है कि वित्तीय समावेश किस तरह कारगर है। पिछले करीब 10 साल में आपने बहुत प्रगति की है और जब इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियों की बात आती है तो आप उदाहरण के लिए जर्मनी जैसे देशों की तुलना में काफी आगे बढ़ गये हैं।’’

वह जी20 की ‘वित्तीय समावेश के लिए वैश्विक साझेदारी’ पर पहली बैठक में भाग लेने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे। बैठक 9 से 11 जनवरी तक हुई।

राजनयिक ने कहा, ‘‘भारत में, आप हर भुगतान यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से करते हैं, हर छोटा विक्रेता इसे स्वीकार कर लेगा। लेकिन जर्मनी में हम अब भी बहुत नकदी इस्तेमाल करते हैं। वित्तीय समावेश महत्वपूर्ण है क्योंकि आम आदमी विशेष रूप से महिलाएं अर्थव्यवस्था में भाग ले सकती हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस क्षेत्र में अपने इस अनुभव को दुनिया तक पहुंचाइए। उन अन्य देशों तक जानकारी उपलब्ध कराइए, जिन्हें वित्तीय समावेश के संदर्भ में आगे बढ़ने के अवसर नहीं मिले।’’

ऑस्टर ने कहा कि जी20 के लिए भारत का सूत्र वाक्य ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ दुनिया की भावना को रेखांकित करता है।

ऑस्टर ने कहा कि भारत ने ऐसे समय में जी20 की अध्यक्षता संभाली है जब दुनिया के सामने जलवायु परिवर्तन से लेकर यूक्रेन के खिलाफ रूसी युद्ध तक के अनेक संकट हैं।

समझा जाता है कि कोलकाता में तीन दिन तक चली बैठक में जी20 के नेताओं ने डिजिटल वित्तीय समावेश और सूक्ष्म और मध्यम उद्योगों के लिए वित्त की उपलब्धता जैसे विभिन्न विषयों पर बातचीत की।










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