जब इंदिरा गांधी रेडियो पर बोलीं- घबराने की जरूरत नहीं और किया इमरजेंसी का ऐलान
देश की जनता 26 जून 1975 की सुबह सोकर उठ ही रह थी कि ऑल इंडिया रेडियो पर जब इंदिरा गांधी के संबोधन ने सभी को चौंका दिया। आपातकाल की घोषणा करने के साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोगों को आश्वस्त भी किया। जानिये इमरजेंसी की पूरी कहानी..
नई दिल्ली: 43 साल पहले आज के ही दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में अचानक इमरजेंसी का ऐलान किया था। 26 जून 1975 की सुबह 8 बजे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो पर इमरजेंसी का ऐलान किया था। इंदिरा गांधी के इस ऐलान के बाद देश ने 21 मार्च 1977 तक 21महीने की अवधि तक के लिये कई तरह के प्रतिबंध झेले थे जिसकी आज भी निंदा की जाती है। कई लोग इस निर्णय को लेकर इंदिरा गांधी की तुलना हिटलर से भी करते है।
आइये जानते है इमरजेंसी की इस पूरी कहानी को..
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देश के लोग 26 जून की सुबह जागकर आंखे ही खोल रहे थे कि ऑल इंडिया रेडियो पर अचानक इंदिरा गांधी ने देश की जनता को संबोधन करना शुरू किया। इंदिरा गांधी ने अपने संबोधन की शुरूआत करते हुए कहा 'भाइयों और बहनों, राष्ट्रपति जी ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है, प्रेसीडेंट ने इमरजेंसी लगा दी है। इंदिरा गांधी ने देश की जनता को आश्वस्त करने की भी कोशिश करते हुए कहा- ‘इससे घबराने और आतंकित होने की जरूरत नहीं है।‘
देश में आपातकाल लागू होने के तुरंत बाद से देश में कई नेताओं को बंदी बनाने के सिलसिला शुरू हुआ। प्रेस की आजादी पर पूरी तरह रोक लगा दी गयी। अखबार और पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन जबरन बंद कराया गया। अखबारों का दफ्तरों की बिजली काट दी गयी ताकि अखबारों का प्रकाशन न हो सके और जनता तक कोई संदेश न पहुंच सके।
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देश की आजादी के बाद भारत के इतिहास में यह सबसे विवादस्पद समय था। इस दौरान चुनाव स्थगित हो गए थे और लोकतंत्र नाम की चीज देश में खत्म सी हो गयी थी। इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों को जेल भेजा जा रहा था।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने देश में इमरजेंसी की घोषणा की थी।