IAS Kanwal Tanuj: सुप्रीम कोर्ट से लगा आईएएस कंवल तनुज त्रिपाठी को बड़ा झटका, सीबीआई केस मामले में खारिज हुई याचिका

डीएन संवाददाता

भ्रष्टाचार के मामले में बिहार कैडर के 2010 बैच के आईएएस कंवल तनुज त्रिपाठी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। वर्तमान में कटिहार जिले के डीएम के पद पर तैनात कंवल घोटाले के वक्त औरंगाबाद जिले के जिलाधिकारी थे। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:

आईएएस कंवल तनुज त्रिपाठी (फाइल फोटो)
आईएएस कंवल तनुज त्रिपाठी (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: औरंगाबाद के तत्कालीन डीएम और वर्तमान में कटिहार के जिलाधिकारी कंवल तनुज त्रिपाठी के सरकारी ठिकानों पर सीबीआई ने फरवरी 2018 में भयानक छापेमारी की थी। यह छापेमारी औरंगाबाद स्थित नवीनगर के एनटीपीसी प्रोजेक्‍ट से जुड़ी थी। आरोप है कि एनटीपीसी के प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर करोड़ो रुपये का लेन-देन हुआ है। करीब दो करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप डीएम पर लगा। 

सीबीआई छापेमारी का दृश्य (फाइल फोटो) 

जमीन किसी को औऱ भुगतान किसी को। मामले में सीबीआई के केस के बाद आईएएस कंवल तनुज त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट में दरवाजा खटखटाया।

तनुज का कहना था कि राज्य सरकार के अधीन काम करते हुए किसी अधिकारी पर सीबीआई केस नहीं चला सकती। 

क्रिमिनल केस संख्या 414/2020 कंवल तनुज बनाम बिहार सरकार में विस्तृत सुनवाई के बाद जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ ने शुक्रवार को अपने 32 पेज के आर्डर में कंवज तनुज को तगड़ा झटका दिया और आदेश पारित किया कि “In view of the above, this appeal must fail and the same is accordingly dismissed. Pending interlocutory applications, if any, shall also stand disposed of.”

कंवल तनुज त्रिपाठी औरंगाबाद में 04 अगस्त 2015 से लेकर 28 फरवरी 2018 तक जिलाधिकारी के पद पर तैनात रहे। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक कंवल इससे पहले इसी मामले को पटना हाई कोर्ट के समक्ष उठा चुके हैं। हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने पर इन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। जहां इनकी सारी दलीलें खारिज हो गयी। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीआरबीसीएल (BRBCL) ज़मीन घोटाले की जाँच में कंवल के ख़िलाफ़ लगे आरोपों की जाँच के लिए सीबीआई को बिहार सरकार से कोई अनुमति की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीआई की एफआईआर  में कंवल सह-साज़िशकर्ता हैं, जिन पर भारत सरकार से धोखाधड़ी एवं सरकारी पैसे के ग़बन का आरोप है। 
 










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