जीएम सरसों की शाकनाशी प्रकृति पर न्यायालय को ‘गुमराह’ कर रही सरकार: कोएलिशन ऑफ जीएम-फ्री इंडिया

डीएन ब्यूरो

आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों (जीएम) का विरोध करने वाले गैर सरकारी संगठनों के एक समूह ने कहा है कि सरकार जीएम सरसों की हर्बिसाइड-टॉलरेंट यानी शाकनाशी-सहिष्णु (एचटी) प्रकृति पर कथित तौर पर उच्चतम न्यायालय को गुमराह कर रही है और फसल पर हर्बिसाइड का उपयोग करने के लिए किसानों को ‘अपराधी’ बनाने की कोशिश कर रही है।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

जीएम सरसों
जीएम सरसों


नयी दिल्ली:आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों (जीएम) का विरोध करने वाले गैर सरकारी संगठनों के एक समूह ने कहा है कि सरकार जीएम सरसों की हर्बिसाइड-टॉलरेंट यानी शाकनाशी-सहिष्णु (एचटी) प्रकृति पर कथित तौर पर उच्चतम न्यायालय को गुमराह कर रही है और फसल पर हर्बिसाइड का उपयोग करने के लिए किसानों को ‘अपराधी’ बनाने की कोशिश कर रही है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को लिखे पत्र में ‘कोएलिशन ऑफ जीएम-फ्री इंडिया’ ने यह भी कहा है कि किसानों का अपराधीकरण या दंड कानूनी रूप से संभव नहीं है क्योंकि उन्हें कीटनाशक अधिनियम 1968 के तहत विनियमन से छूट प्राप्त है।

‘कोएलिशन ऑफ जीएम-फ्री इंडिया’ ने पत्र में यह आरोप भी लगाया कि सरकार भारत में एचटी फसलों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अदालत द्वारा नियुक्त तकनीकी विशेषज्ञ समिति (टीईसी) की स्पष्ट सिफारिश की अनदेखी कर रही है।

पत्र में कहा गया, ‘‘भारत सरकार भारत के सर्वोच्च न्यायालय को इस आश्वासन के साथ गुमराह कर रही है कि जीएम सरसों एचटी फसल नहीं है। बार-बार यह आश्वासन देकर कि जीएम सरसों एक शाकनाशी-सहिष्णु फसल नहीं है, भारत सरकार भारत में एचटी फसलों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अदालत द्वारा नियुक्त टीईसी द्वारा स्पष्ट सिफारिश को दरकिनार करने की कोशिश कर रही है।’’

इसमें कहा गया है कि इसके बजाय सरकार जीएम सरसों पर शाकनाशी का इस्तेमाल करने वाले किसानों को ‘अपराधी’ बनाने की कोशिश कर रही है।

शाकनाशी खरपतवारों का नष्ट करने या नियंत्रित करने के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले रसायन हैं। चयनित शाकनाशी खेत में लक्षित खरपतवारों को नष्ट कर देते हैं जबकि वांछित फसल के पौधों को अपेक्षाकृत कोई नुकसान नहीं होता है। खरतपतवार वे अनावश्यक पौधे होते हैं जो फसल के साथ उगते हैं और फसलों का पोषण स्वयं ले लेते हैं। इसलिए इन्हें हटाना जरूरी होता है।

पत्र में कहा गया है कि अक्टूबर 2022 में जीएम सरसों के पर्यावरणीय रिलीज के लिए जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) द्वारा जारी अनुमोदन पत्र में एक शर्त थी जो किसानों को किसी भी स्थिति में अपने खेतों में खेती के लिए शाकनाशी के किसी भी फॉर्मूलेशन का उपयोग करने से रोकती है।

हालांकि, इसमें कहा गया है कि किसानों का अपराधीकरण या दंड कानूनी रूप से संभव नहीं है क्योंकि उन्हें कीटनाशक अधिनियम 1968 के तहत विनियमन से छूट प्राप्त है।

कृषि और पर्यावरण पर जीएम फसलों के प्रभावों पर बहस भारत सहित कई देशों में एक विवादास्पद मुद्दा है । जीएम फसलों के समर्थकों का तर्क है कि वे खाद्य सुरक्षा और कृषि उत्पादकता जैसे मुद्दों को हल करने में मदद कर सकते हैं। आलोचक अक्सर उनकी सुरक्षा और संभावित पर्यावरणीय प्रभावों पर चिंताओं को इंगित करते हैं।

जीएम एचटी सरसों के मामले में, विशिष्ट चिंता का विषय ग्लूफोसिनेट का उपयोग है। ‘ग्लूफोसिनेट’ एक खरपतवारनाशी है जिसका खरपतवार पर नियंत्रण के लिए शाकनाशी सहिष्णु (एचटी) प्रकृति की फसलों पर आम तौर पर उपयोग किया जाता है।

शाकनाशी सहिष्णु (एचटी) प्रकृति की फसलों से जहां किसानों को फायदा हो सकता है वहीं पर्यावरण पर इसके इस्तेमाल से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं तथा खरपतवार की ऐसी किस्म के विकसित होने की आशंका होती है जिस पर खरपतवारनाशक का कोई प्रभाव न पड़े।

 










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