जीएम सरसों की खरपतवारनाशी सहिष्णु प्रकृति पर न्यायालय को गुमराह कर रही है सरकार

डीएन ब्यूरो

आनुवंशिक रूप से परिवर्तित (जीएम) फसलों का विरोध कर रहे गैर-लाभकारी संगठनों के एक समूह ने कहा कि सरकार जीएम सरसों की खरपतवारनाशी सहिष्णु (एचटी) प्रकृति पर उच्चतम न्यायालय को गुमराह कर रही है और फसल पर खरपतवारनाशक के इस्तेमाल के लिए किसानों को ‘‘अपराध’’ के दायरे में लाने का प्रयास कर रही है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: आनुवंशिक रूप से परिवर्तित (जीएम) फसलों का विरोध कर रहे गैर-लाभकारी संगठनों के एक समूह ने कहा कि सरकार जीएम सरसों की खरपतवारनाशी सहिष्णु (एचटी) प्रकृति पर उच्चतम न्यायालय को गुमराह कर रही है और फसल पर खरपतवारनाशक के इस्तेमाल के लिए किसानों को ‘‘अपराध’’ के दायरे में लाने का प्रयास कर रही है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को लिखे पत्र में ‘कोलिशन ऑफ जीएम-फ्री इंडिया’ ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार भारत में खरपतवारनाशी सहिष्णु फसलों पर प्रतिबंध के लिए अदालत द्वारा नियुक्त तकनीकी विशेषज्ञ समिति की स्पष्ट सिफारिशों को नजरअंदाज कर रही है।

पत्र में कहा गया है, ‘‘भारत सरकार यह आश्वासन देकर माननीय उच्चतम न्यायालय को गुमराह कर रही है कि जीएम सरसों एक एचटी फसल नहीं है। बार-बार यह बात कह कर कि जीएम सरसों खरपतवारनाशी सहिष्णु फसल नहीं है, भारत सरकार देश में एचटी फसलों पर प्रतिबंध के लिए अदालत द्वारा नियुक्त टीईसी की सिफारिशों को नजरअंदाज करने की कोशिश कर रही है।’’

इसमें कहा गया है कि इसके बजाय सरकार जीएम सरसों पर खरपतवारनाशक का इस्तेमाल करने वाले किसानों को ‘‘अपराध’’ के दायरे में लाने का प्रयास कर रही है।

पत्र में कहा गया है कि अक्टूबर 2022 में ‘‘जेनेटिक इंजीनयरिंग एप्रेजल कमेटी’’ (जीईएसी) ने जीएम सरसों को लेकर एक पत्र लिखा था। पर्यावरण पर इनके प्रभाव को लेकर लिखे गए इस पत्र में एक शर्त थी जिसके अनुसार, किसानों को किसी भी परिस्थिति में उनके खेतों में खरपतवारनाशी का उपयोग करने की मनाही है।

इस पत्र में कहा गया है कि बहरहाल, किसानों को अपराध के दायरे में लाना या उन पर जुर्माना लगाना कानून संभव नहीं है क्योंकि उन्हें 1968 के कीटनाशक कानून के तहत नियमन से छूट मिली हुई है।

गौरतलब है कि भारत सहित कई देशों में अनुवांशिक रूप से परिवर्तित फसलों के खेती एवं पर्यावरण पर प्रभाव को लेकर बहस एक जटिल मुद्दा बनी हुई है। जीएम फसलों के पक्षधर तर्क देते हैं कि इनसे खाद्य सुरक्षा और कृषि उत्पादन जैसे मुद्दों के हल में मदद मिल सकती है। वहीं दूसरी ओर, इनके आलोचकों का तर्क है कि इससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

जीएम सरसों के मामले में सबसे बड़ी चिंता ‘ग्लूफोसिनेट’ के इस्तेमाल को लेकर है। ‘ग्लूफोसिनेट’ एक खरपतवारनाशी है जिसका खरपतवार पर नियंत्रण के लिए खरपतवारनाशी सहिष्णु (एचटी) प्रकृति की फसलों पर आम तौर पर उपयोग किया जाता है।

खरपतवारनाशी सहिष्णु (एचटी) प्रकृति की फसलों से जहां किसानों को फायदा हो सकता है वहीं पर्यावरण पर इसके इस्तेमाल से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं तथा खरपतवार की ऐसी किस्म के विकसित होने में मदद मिल सकती है जिस पर खरपतवारनाशक का कोई प्रभाव न पड़े।










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