सब्सिडी, सड़क, मंजूरियों जैसे ‘चुबंक’ की वजह से वैश्विक निवेशक महाराष्ट्र आना चाहते हैं
विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक से इतर महाराष्ट्र ने मात्र दो दिन में वैश्विक निवेशकों के साथ 1.36 लाख करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि सब्सिडी का वादा, तेजी से मंजूरियां और एक बेहतर सड़क ढांचे ने उनके राज्य में निवेशकों को लाने में ‘चुंबक’ का काम किया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
दावोस: विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक से इतर महाराष्ट्र ने मात्र दो दिन में वैश्विक निवेशकों के साथ 1.36 लाख करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को कहा कि सब्सिडी का वादा, तेजी से मंजूरियां और एक बेहतर सड़क ढांचे ने उनके राज्य में निवेशकों को लाने में ‘चुंबक’ का काम किया है।
डब्ल्यूईएफ की सालाना बैठक में भाग लेने आए शिंदे ने कहा कि उन्होंने केवल दो दिन में कई संभावित निवेशकों से मुलाकात की है, जिन्होंने राज्य में निवेश करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है। ये निवेशक अपनी योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए जल्द मुंबई जाने की योजना बना रहे हैं।
यह पूछे जाने पर कि महाराष्ट्र विदेशी निवेशकों को अन्य भारतीय राज्यों की तुलना में क्या अधिक की पेशकश कर सकता है, शिंदे ने कहा कि हमारा राज्य सब्सिडी, बेहतर बुनियादी ढांचे और तेजी से मंजूरियां देने के लिए प्रतिबद्ध है।
शिंदे ने कहा, ‘‘वे (निवेशक) जो चाहते हैं, हम देने को तैयार हैं और राज्य सरकार उनकी सभी वास्तविक मांगों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। सड़क संपर्क हमारी सबसे बड़ी संपत्तियों में से एक है और नियंत्रित पहुंच सड़क प्रणाली (एक्सेस कंट्रोल रोडवेज सिस्टम) के कारण उद्योग भी राज्य की ओर आकर्षित हो रहे हैं।’’
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विशेषज्ञों के अनुसार, एक्सेस कंट्रोल रोडवेज सिस्टम भारी और तेज गति से चलने वाले वाहनों की निर्बाध और तेज आवाजाही सुनिश्चित करता है और आवारा पशुओं को मुख्य राजमार्गों पर आने से भी रोकता है।
महाराष्ट्र लंबे समय से औद्योगिक राज्य में आता है। राज्य में वाहन, रक्षा और अन्य क्षेत्रों की उल्लेखनीय मौजूदगी है। वृद्धि के नए क्षेत्रों के बारे में पूछे जाने पर शिंदे ने डाटा केंद्रों, लॉजिस्टिक्स, फार्मास्युटिकल्स और नवीकरणीय ऊर्जा का जिक्र किया।
इस वर्ष की डब्ल्यूईएफ की वार्षिक बैठक में महाराष्ट्र, तेलंगाना और तमिलनाडु सहित कई राज्य खुद को निवेश गंतव्य के रूप में पेश कर रहे हैं और उन्होंने यहां अपने मंडप लगाए हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार की ओर से तीन अलग मंडप लगाए गए हैं।
दावोस आने की वजह पूछे जाने पर शिंदे ने कहा, ‘‘विश्व आर्थिक मंच एक बहुत ही प्रतिष्ठित संगठन है और इस कार्यक्रम में दुनियाभर के लोग शामिल होते हैं। वे यहां अपने विचार प्रस्तुत करते हैं और नई प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करते हैं।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘यहां पर्यावरण के मुद्दों, कौशल विकास से जुड़े मामलों और रोजगार सृजन जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा होती है। लोगों को यहां वैश्विक आर्थिक रुझानों के बारे में भी पता चलता है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि डब्ल्यूईएफ शिखर सम्मेलन में विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के लोग शामिल होते हैं और इसमें तेज और बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण कैसे किया जाए, इसपर चर्चा और विचारों का आदान-प्रदान भी होता है।
शिंदे ने कहा, ‘‘मैं यहां काफी लोगों से मिला हूं। इनमें कौशल विकास, बुनियादी ढांचे, शहरी बदलाव और जलवायु जैसे मुद्दों पर काम करने वाले लोग शामिल हैं। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मेरी अपने राज्य के डाटा केंद्रों, फार्मास्युटिकल्स, लॉजिस्टिक्स, वाहन और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश को लेकर सकारात्मक बातचीत हुई है।’’
उन्होंने कहा कि सिर्फ दो दिन में हमने 1.36 लाख करोड़ रुपये के एमओयू किए हैं।