गाजीपुर के सेवानिवृत्त शिक्षक करीम रज़ा ने इन्टरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया नाम

डीएन ब्यूरो

यूपी के ग़ाज़ीपुर के 80 वर्षीय करीम रज़ा ने इन्टरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड के वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस में अपना नाम दर्ज कराया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

करीम रज़ा ने इन्टरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया नाम
करीम रज़ा ने इन्टरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया नाम


दिलदारनगर (ग़ाज़ीपुर): जहाँ लोग अपने बाप-दादा से ऊपर परदादा, लकड़दादा एवं पूर्वजों के नाम भूलते जा रहे हैं, वहीं आज के दौर में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपने पूर्वजों, कुल, ख़ानदान, कुनबे का इतिहास, वंशवृक्ष, वंशावली, शज़रा संरक्षित कर, तैयार करने के प्रति नई पीढ़ी में जागरुकता लाकर संदेश देने का काम कर रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार जनपद में दिलदारनगर के सेवानिवृत्त शिक्षक (80) मुहम्मद करीम रज़ा ख़ाँ जिन्होंने अपनी  ऐतिहासिक पारिवारिक विरासत की वंशवृक्ष (फैमिल ट्री) वंशावली को संकलित, संरक्षित एवं संजोकर तथा प्रदर्शित कर एक नायाब एवं अनूठी मिशाल पेश की है। 

जानकारी के अनुसार इन्टरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ एक पृष्ठ-एक दृष्टि वाली 400 वर्ष की 14 पीढ़ियां, 626 महिला-पुरुष की भारतीय पारिवारिक वंशावली है।

एक पृष्ठ-एक दृष्टि वाली वंशवृक्ष की विशेषता
अगर इनके पारिवारिक वंशावली पर एक नज़र डालें तो "एक पृष्ठ-एक दृष्टि वाली वंशवृक्ष" में सम्मिलित पुरुषों की संख्या 331 तथा वंशवृक्ष में सम्मिलित संकेत के अनुसार महिलाओं की संख्या 295 दर्ज किये गए हैं जो अंको में दर्शाया गई है। इस तरह कुल महिलाओं-पुरूषों की संख्या 626 दर्ज किया है।

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वंशवृक्ष की विशेषता यह है कि पिछले चार सौ वर्षों में संकेत चिन्ह के माध्यम से उन व्यक्तियों को भी दर्शाया गया है जिनकी बचपन में एवं विवाह से पूर्व यानि युवाकाल में मृत्यु हो चुकी है। यह एक जबरदस्त शोध परक वंशवृक्ष तैयार किया गया है, जिसे हिन्दु-मुस्लिम एकता तथा मुस्लिमों के भारतीय होने और अपने जड़ से जुड़े होने के पक्के सबूत को दर्शाती है। 

उन्होंने बताया कि पिछले लगभग 400 वर्ष से लेकर 15 जुलाई, सन् 2006 ई० तक जन्म लिए गए बच्चों को इस वंशवृक्ष में शामिल किया गया है। यह वंशवृक्ष उत्तर प्रदेश के जनपद ग़ाज़ीपुर में परगना ज़मानिया के जागीरदार तथा दिलदारनगर के संस्थापक कुँअर नवल सिंह उर्फ मुहम्मद दीनदार ख़ाँ के दादा कुँअर ख़र सिंह सिकरवार क्षत्रिय, ग्राम समहुता, खरहना, अंचल मोहनियां, भभुआ, कैमूर बिहार से प्रारंभ होता है। कुँअर ख़र सिंह के वर्तमान में चौदहवीं पीढ़ी/पुश्त का जन्म हो चुका है। 

संकलनकर्ता मुहम्मद करीम रज़ा ख़ाँ मुहम्मद दीनदार ख़ाँ के नौवीं वंशज हैं। इन्होंने अपने से आठवीं पूर्वज ऊपर तथा पाँचवीं पीढ़ी नीचे तक की पारिवारिक वंशावली तैयार किया है। कुल अपने समकालीन चौदह पीढ़ियों का पारिवारिक वंशवृक्ष दर्शाया है।

शिक्षक मुहम्मद करीम रज़ा ने यह भारतीय पारिवारिक वंशवृक्ष "एक पृष्ठ-एक दृष्टि" में संजोकर, लिखकर, तैयार कर एक मिसाल क़ायम की है एवं अपने पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा-सुमन अर्पित किया है। उन्होंने ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित कर आने वाली पीढ़ियों के लिए ऐतिहासिक पाण्डुलिपी सौंपी है।

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इन्टरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड ने दर्ज किया वंशवृक्ष
इन्टरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड ने पिछले कुछ माह से सर्वे करने के बाद विमोचन किए गए 400 वर्षों के वंशावली के संकलनकर्ता को वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस के रूप में भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के जनपद ग़ाज़ीपुर, दिलदारनगर के मुहम्मद करीम रज़ा ख़ाँ का नाम दर्ज किया। उन्होंने अपने पूर्वजों का 400 साल पुराना पारिवारिक वंशवृक्ष तैयार किया था जिसे इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड के वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस का सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया एवं अपने सोशल साइट्स प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित भी किया है। जिसका सर्टिफिकेट, मेडल, एवं प्रशस्ति-पत्र विगत गुरूवार को डाक के माध्यम से प्राप्त हुआ।

यह भारतीय हिन्दू-मुस्लिम वंशवृक्ष रोल मॉडल की तरह इतिहासकारों, इतिहास प्रेमियों, शोधार्थियों तथा लोगों में प्रेरणास्रोत बनकर आने वाली पीढ़ी को अपने पुरखों के बारे में जानकारी की जिज्ञासा जगाएगी, मार्गदर्शन करेगी एवं हमेशा प्रेरित करती रहेगी।

इस वंशवृक्ष के अनूठे कार्य पर भारत सहित विश्व में जनपद ग़ाज़ीपुर का मान बढ़ाने वाले शिक्षक करीम रज़ा ख़ाँ के मुहम्मद दीनदार ख़ाँ परिवार, दिलदारनगर क्षेत्र, जनपद ग़ाज़ीपुर, काशी क्षेत्र सहित पूर्वांचल में हर्षोल्लास व्याप्त है।










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