गाजीपुर : टोल विवाद को लेकर एक पक्ष ने कराया मुकदमा दर्ज,जानिए क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में वाराणसी-गोरखपुर फोरलेन के डांड़ी खुर्द स्थित टोल टैक्स के पास दो पक्षों में मारपीट हुई। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
गाजीपुर: वाराणसी-गोरखपुर फोरलेन के डांड़ी खुर्द पर अंतिम संस्कार से लौट रहे लोगों और टोलकर्मियों के बीच हुई मारपीट के मामले में एफआइआर से पूर्व दोनों पक्षों में थानों में दो लाख रुपये में समझौता हुआ था।
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मामले में मैनेजर हितेश प्रताप सिंह व तत्कालीन थानाध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव के खिलाफ बिरनो थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। वहीं तत्कालीन थानाध्यक्ष पहले ही निलंबित हो चुके हैं।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार जनार्दन चौबे मेंहदावल थाना क्षेत्र के ग्राम करमा कलां के निवासी हैं। वह पेशे से वकील हैं। 25 फरवरी को उनके भाई की पत्नी का देहांत हो गया था। अगले दिन 26 फरवरी को वाराणसी के मणिकर्णिका घाट से दाह संस्कार करने के बाद परिजनों और रिश्तेदार समेत दो बसों से लौट रहे थे।
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चौबे का आरोप है कि उनके साथ गाजीपुर के पास मौजूद टोल प्लाजा पर मारपीट की गई। साथ ही पुलिस की मिली-भगत से उनसे अवैध रूप से धन वसूला गया। इस मामले में पुलिस की संलिप्तता को देखते हुए एसएचओ को फिलहाल सस्पेंड कर दिया गया है। मामले की जांच चल रही है।
टोल मैनेजर हितेश प्रताप सिंह ने बताया कि टोल स्टाफ ने नियमानुसार केवल शव वाहन को छूट की बात करते हुए उनसे टोल टैक्स देने की बात की। टोल टैक्स की बात सुनकर बसों में सवार सभी लोग नीचे उतरे और टोल स्टाफ के साथ मारपीट करते हुए, टोल बैरियर को तोड़ते हुए जबरदस्ती बसों को निकालने लगे।
टोलकर्मियों ने आरोप लगाया कि वहां लगे सरकारी उपकरणों में तोड़फोड़ करते हुए करीब पांच लाख रुपये का नुकसान हुआ। इस दौरान कई टोलकर्मियों को चाटें भी आई थी।
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बिरनो थाने पर दोनों पक्षों को ले जाकर संतकबीरनगर के स्थानीय जनप्रतिनिधि के द्वारा मामले को समझौते के रूप में दो लाख रुपये मुआवजा राशि देने के बाद लिखित समझौते पत्र के आधार पर मामला निपटाया गया था। एक पक्ष से टोल मैनेजर हितेश प्रताप सिंह और दूसरे पक्ष से यतींद्रनथ और मोनू थे।
आरोप लगाया कि उसके बाद पांच मार्च को पुनः दूसरे पक्ष के द्वारा झूठी बातों को आधार बनाकर मुकदमा लिखाया गया है। सीसीटीवी फुटेज में सभी टोल पर हुआ उपद्रव साफ दिख रहा है। बताया कि अगर उससे यहां न्याय नहीं मिला तो वह न्यायालय की शरण में जाएंगे।