

झारखंड विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। इस चुनाव में कई ऐसे मुद्दे है, जो तय करेंगे प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
रांची: झारखंड की 81 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव में अब कुछ ही दिन बाकी रह गए है। वहीं इससे पहले राजनीतिक पार्टियों ने अपनी रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है और अपने उम्मीदवारों की लिस्ट (Candidates List) जारी कर दी है।
बीजेपी ने खेला मास्टर स्ट्रोक
इन चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। बीजेपी ने डॉ. रविंद्र कुमार राय (Ravindra Kumar Rai) को बीजेपी झारखंड प्रदेश का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है, जो पूर्व में सांसद भी रहे हैं। ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की चुनौती के बीच अनुभवी रविंद्र कुमार राय को उतारकर पार्टी ने स्थानीय लोगों से खुद को जोड़ने का काम किया है।
एनडीए के लिए बाधा
हालांकि, बीजेपी के लिए मौजूदा सरकार को हटाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा, क्योंकि प्रदेश में जेएमएम और कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। जो एनडीए (NDA) के लिए सरकार बनाने के रास्ते में बड़ा अवधान पैदा कर सकता है।
चुनाव में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाले गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच है। इनके अलावा कांग्रेस, आजसू, झारखंड विकास मोर्चा और कुछ अन्य पार्टियां भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। झारखंड की राजनीति में मुद्दे तय करेंगे प्रदेश की राजनीति की दिशा और दशा।
1. रोजगार और बेरोजगारी का मुद्दा
झारखंड में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। राज्य के युवाओं को बेहतर रोजगार के अवसर नहीं मिल पा रहे हैं, और बेरोजगारी दर भी चिंता का विषय है। खासकर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में रोजगार की स्थिति कमजोर है। युवाओं को सरकार से बड़ी उम्मीदें हैं कि वह रोजगार के अवसर बढ़ाएगी। सत्तारूढ़ JMM और बीजेपी दोनों इस मुद्दे पर चुनाव में वादे कर सकते हैं, जिससे युवाओं का वोट अपने पक्ष में करने का प्रयास होगा।
2. आदिवासियों के अधिकार और भूमि सुरक्षा
झारखंड आदिवासी बाहुल्य राज्य है, और यहाँ के आदिवासी समाज के लिए भूमि का मुद्दा बेहद संवेदनशील है। जमीन और जंगल पर उनके अधिकारों की रक्षा करना, जमीन हस्तांतरण में सुरक्षा देना और भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवाद उनके लिए महत्वपूर्ण हैं। JMM ने हमेशा आदिवासी अधिकारों की बात की है, इसलिए JMM इस मुद्दे पर फोकस करेगा। वहीं, बीजेपी भी अपनी नीतियों में आदिवासी विकास का भरोसा देने का प्रयास कर रही है।
3. खनन और पर्यावरण से जुड़ी समस्या
झारखंड एक खनिज संपन्न राज्य है, और यहाँ कोयला, लोहा जैसे खनिजों का भंडार है। हालांकि, खनन से राज्य को आर्थिक लाभ होता है, लेकिन इससे पर्यावरण और आदिवासी समुदायों पर नकारात्मक असर भी पड़ता है। पर्यावरण की सुरक्षा और लोगों की जमीन पर अधिकार दोनों ही चुनाव के महत्वपूर्ण मुद्दे होंगे।
4. शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था
झारखंड में सरकारी स्कूलों और अस्पतालों की हालत अच्छी नहीं है। शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं बहुत ही सीमित हैं, और राज्य के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में स्थिति और भी गंभीर है। जनता बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की मांग कर रही है। चुनाव में यह मुद्दा खास रहेगा, और पार्टियां इससे जुड़े वादे कर सकती हैं।
5. बिजली और पानी की समस्या
कई ग्रामीण इलाकों में बिजली और पानी की समस्या आम बात है। गाँवों और दूर-दराज के इलाकों में बिजली की कटौती और साफ पानी की कमी के कारण लोग परेशान हैं। JMM और कांग्रेस गठबंधन इस समस्या को हल करने का भरोसा दिला रहे हैं, जबकि बीजेपी ने भी बिजली और पानी की समस्याओं को लेकर कई वादे किए हैं।
6. भ्रष्टाचार और सुशासन
भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है, जो हर चुनाव में छाया रहता है। लोग चाहते हैं कि राज्य में ईमानदारी और पारदर्शिता से काम हो। बीजेपी अक्सर भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाती रही है, जबकि JMM भी सुशासन के वादे कर रही है।
7. ग्रामीण विकास और बुनियादी ढांचा
ग्रामीण इलाकों में सड़कों की कमी, आवास और अन्य बुनियादी ढांचे का विकास अब भी अधूरा है। लोग बुनियादी सुविधाओं के विकास की मांग कर रहे हैं, जिससे उनकी जिंदगी में सुधार हो। JMM और कांग्रेस गठबंधन ग्रामीण विकास के इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं, जबकि बीजेपी भी ग्रामीण विकास की योजनाओं का जिक्र कर रही है।
8. कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा
राज्य में कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा का मुद्दा चुनाव में अहम भूमिका निभा सकता है। जनता चाहती है कि राज्य में शांति और सुरक्षा बनी रहे। महिला सुरक्षा पर पार्टियां खासतौर पर फोकस कर सकती हैं।
9. SC/ST और OBC के अधिकार
झारखंड में SC, ST और OBC समुदायों का बड़ा जनाधार है, और इन वर्गों के लिए आरक्षण और अधिकारों की रक्षा का मुद्दा हमेशा से अहम रहा है। पार्टियां इन समुदायों को आकर्षित करने के लिए उनके अधिकारों पर विशेष योजनाओं का ऐलान कर सकती हैं।
10. स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार
COVID के बाद स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को दूर करना एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। जनता चाहती है कि अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएं हों और गंभीर बीमारियों के इलाज की व्यवस्था हो। सभी पार्टियां बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का वादा करके जनता का भरोसा जीतने की कोशिश करेंगी।
राजनीतिक समीकरण
JMM और कांग्रेस गठबंधन आदिवासी और ग्रामीण वोटों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। बीजेपी पहले भी राज्य में सत्ता में रह चुकी है, ऐसे में वह अपने विकास कार्यों और सुशासन के मुद्दों के साथ मैदान में उतरेगी। हालांकि, इस चुनाव में आजसू और झारखंड विकास मोर्चा भी कुछ क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
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