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नवरात्र के नौ दिनों में माँ के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा आज पुरे विधि विधान से की जाती है। माँ की पूजा और भी कैसे बने प्रभावकारी डाइनामाइट न्युज़ लेकर आया है पुरी जानकारी।
नवरात्री स्पेशल- आज से नवरात्र की शुरूआत हो चुकी है,जगह जगह माँ का दरबार सँजने लगा है। हर ओर माँ के नाम की ही गूँज है। नवरात्र के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की अराधना की जाती है। शैलपुत्री को देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में प्रथम माना गया है।
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कैसा है माँ का स्वरूप
ऐसी मान्यता है कि माता वृषभ पर सवार होकर आती है।माँ अपने दाहिने हाथ में त्रिशुल और बायें हाथ में कमल पुष्प धारण किये हुए है।एक कथा के अनुसार पूर्व जन्म में सती अपने पति भगवान शंकर के अपमान को सहन नही कर सकी और उन्होनें अपने पिता दक्ष के यज्ञ को विध्वंस कर योगाग्नि द्वारा स्वयं को भस्म कर लिया।उन्होनें अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया तथा शैलपुत्री के नाम से विख्यात हुई।नवरात्र के प्रथम दिन इन्हीं माँ का पूजन षोडशोपचार विधि से किया जाता है।
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ध्यान मंत्र
वंदे वांछत लाभाय,
चंद्रार्द्धकृत शेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां,
शैलपुत्रीं यशासस्विनीम् ।।
माँ का बीज मंत्र
ऊँ ऐं हृी क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।
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कौन सा रंग है माँ का
माँ को पीला रंग पंसद है।पीला रंग ब्रह्स्पति का प्रतीक माना जाता है। किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य में इस रंग का बहुत महत्व माना गया है।
विशेष महत्व
मान्यता है कि नवरात्र में पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है।
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