फतेहपुर: शाह स्थित मठ पर दबंगों के कब्जे से संत समाज समेत जनता में भारी आक्रोश, कौन है मठ का असली हकदार?

डीएन संवाददाता

जिले के नामचीन व प्राचीन मठों में शामिल शाह स्थित मठ पर दबंगों के कब्जे से संत समाज समेत स्थानीय लोगों में प्रशासन के खिलाफ लगातार आक्रोश पनप रहा है। आखिर क्यों किया गये मठ पर कब्जा, कानूनी तौर पर मठ पर किसका है अधिकार? इन्हीं बुनियादी सवालों का जवाब ढूंढ़ती डाइनामाइट न्यूज़ की यह खास रिपोर्ट..

 शाह स्थित मठ और विद्यालय
शाह स्थित मठ और विद्यालय


फतेहपुर: जिले के नामचीन और प्राचीन मठों में शामिल शाह स्थित मठ पर दबंगों द्वारा कब्जा किये जाने के बाद संत समाज समेत यहां की जनता में भारी आक्रोश पनप रहा है। पिछले कई महीनों से दंबगों ने मठ में अपना डेरा जमा लिया है और मठ से संतों को बाहर निकाल दिया गया है। न्याय की गुहार के बाद भी पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है, जिससे लोग गुस्से में हैं।

शाह मठ की जमीन पर अवैध रूप से हो रही प्लाटिंग

 

इसलिये किया गया कब्जा

दरसल भूममाफियाओं की निगाह मठ के लगभग सवा सौ बीघे जमीन पर बहुत पहले से टिकी हुई थी। वहीं दूसरी ओर मठ के नाम पर संचालित हो रहे श्री स्वामी गोविंदपुरी इंटर कॉलेज भी सरकार से वित्त पोषित होने वाला है। समझा जाता है कि इन दो बड़े कारणों से भूमाफियाओं ने मठ पर कब्जा किया। भूमाफिया अब स्वयं मठ और मठ के अंदर स्थित इंटर कालेज का संचालन करने लगे है।

 

 

दबंगों के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा

मठ के सर्वराहकार का विवाद कोर्ट में विचाराधीन है। शाह कस्बे के ग्रामीणों की माने तो दबंगों ने मठ के वास्तविक कर्ता-धर्ता अमर चैतन्य को दबंगई के बल पर मठ से बाहर निकाल दिया है और फर्जी तरीक़े से मठ को एक बड़े संत के नाम पर लूट रहे हैं। वास्तविक सर्वराहकार अपने ही मठ से निकाल दिए गए हैं। ऐसी स्थित में मठ के सर्वराहकार अमर चैतन्य ने पुलिस की तरफ से कोई मदद न होता देख कोर्ट में एक मुकदमा भी उन दबंगों के खिलाफ दायर किया हैं। 

सर्वराहकार बनाने में जज की भूमिका

स्वामी गोविंदपुरी ने सन 1963 में अपने मठ शिवजी विराजमान मठ शाह के नाम से एक डीड बनवाई थी, जिसमें ये कहा गया था कि मठ के अंतर्गत आने वाली सारी चल-अचल संपत्ति का मालिक उस मठ का सर्वराहकार होगा। साथ ही साथ ये भी नियम बनाये गए थे कि मठ की किसी भी संपत्ति को बेचा नहीं जा सकता और गुरु शिष्य परम्परा के अंतर्गत ही इस मठ का संचालन होगा। साथ ही मठ का सर्वराहकार ही मठ में बने विद्यालय के प्रबंधक की नियुक्ति करेगा। डीड के अनुसार सर्वराहकार विद्यालय के प्रबंधक को हटा सकता है और डिस्ट्रिक्ट जज ही गुरु शिष्य परम्परागत आने वाले व्यक्ति को सर्वराहकार बनायेंगे।
 










संबंधित समाचार