विशेषज्ञों की चेतावनी: मच्छर-जनित बीमारी में बढ़ सकता है खतरा, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

‘धरती गर्म हो रही है और जलवायु परिवर्तन के कारण मच्छरों के प्रजनन की अवधि में विस्तार होता जा रहा है, ऐसे में मच्छरों का प्रकोप और बढ़ेगा तथा ये उन क्षेत्रों में बढ़ेंगे जहां पहले मच्छरों की संख्या कम हो गयी थी।’ यह दावा एक विशेषज्ञ ने किया है। पढ़िए पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

Updated : 1 May 2023, 6:53 PM IST
google-preferred

नयी दिल्ली: ‘धरती गर्म हो रही है और जलवायु परिवर्तन के कारण मच्छरों के प्रजनन की अवधि में विस्तार होता जा रहा है, ऐसे में मच्छरों का प्रकोप और बढ़ेगा तथा ये उन क्षेत्रों में बढ़ेंगे जहां पहले मच्छरों की संख्या कम हो गयी थी।’ यह दावा एक विशेषज्ञ ने किया है।

रेकिट बेंकिज़र में ‘ग्लोबल पेस्ट कंट्रोल इनोवेशन’ के अनुसंधान एवं विकास निदेशक अविजीत दास ने चेतावनी दी है कि उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और लैटिन अमेरिका में मच्छर जनित रोग पहले से ही स्थानिक हैं, लेकिन ये यूरोप जैसे क्षेत्रों में आबादी को फिर से प्रभावित कर रहे हैं।

दास ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया, ‘‘जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा और पर्यावरणीय स्थितियां परिवर्तित होंगी, मच्छर-जनित रोग अन्य स्थानों तक पांव पसारेंगे। किसी खास स्थान पर मच्छर प्रजनन की अवधि के बढ़ने के आसार हैं, जिससे हमें मच्छरों का प्रकोप अधिक दिनों तक झेलना पड़ सकता है। यदि भारत में मच्छरों का प्रकोप पहले पांच महीने तक रहता था तो अगले 10 साल में इसके बढ़कर छह माह या सात माह होने के आसार हैं।’’

दास का मानना है कि वर्तमान साक्ष्यों के आधार पर इस प्रवृत्ति का विस्तार जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत सारे शोध हैं जो इस बात की भविष्यवाणी करते हैं।

महामारी विशेषज्ञ एवं विश्व मच्छर कार्यक्रम (डब्लूएमपी) में प्रभाव मूल्यांकन के निदेशक डॉ केटी एंडर्स बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन मच्छर से पैदा होने वाली बीमारियों के जोखिम को भी आसानी से बढ़ाता है।

एंडर्स ने कहा, ‘‘उदाहरण के तौर पर, जब सूखे के कारण घरों में पानी जमा किये जाते हैं तो इससे मच्छरों के अंडे देने वाले स्थानों की संख्या और बीमारी का जोखिम भी बढ़ेगा। भू-उपयोग में बदलाव भी मच्छरों के शहरों की ओर बढ़ने में सहायक साबित हो सकते हैं और इससे वहां की आबादी के डेंगू एवं अन्य मच्छर-जनित रोगों के विस्फोटक प्रकोप का खतरा बढ़ सकता है।’’

मच्छर-जनित रोगों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (ईवाईडब्ल्यूए) के अनुसार, यूरोप में मलेरिया के मामलों में 62 प्रतिशत और डेंगू, जीका और चिकनगुनिया में 700 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के विशेषज्ञ उपलब्ध उपायों के पुनर्मूल्यांकन की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है।

दास का मानना है कि प्रभावी उपाय सुनिश्चित करने के लिए मच्छर-जनित बीमारियों में बदलते रुझानों की लगातार निगरानी किया जाना आवश्यक है।

Published : 
  • 1 May 2023, 6:53 PM IST

Related News

No related posts found.