बूढ़ों की बीमारी माना जाने वाला गठिया की चपेट में अब बच्चें भी

डीएन ब्यूरो

गठिया को बुजुर्गों को होने वाली बीमारी के रूप में जाना जाता है। बढ़ती उम्र में होने वाली ऑस्टियोपाेरोसिस बीमारी अब कम उम्र के लोगों को भी गिरफ्त में ले रही है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट...

फाइल फोटो
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नई दिल्ली: आधुनिक जीवन शैली, अस्वस्थकर खानपान, प्रदूषण और सुुबह की सूरज की रोशनी से नहाने से बंचित रहने समेत कई कारणों से उत्पन्न हड्डियों को ‘शक्तिहीन’करने वाली ओस्टीयोमलेशिया और बढ़ती उम्र में होने वाली ऑस्टियोपाेरोसिस बीमारी अब कम उम्र के लोगों को भी गिरफ्त में ले रही है।

अर्थोपेडिक सर्जन डॉ. एपी सिंह ने कहा,“ यूं तो कई कारणों से आज की युवा पीढ़ी और बच्चे ओस्टीयोमलेशिया (अस्थिमृदुता) की चपेट में आते हैं लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण विटामिन डी की कमी है।”

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डॉ़ सिंह ने कहा,“आज की भागती जिन्दगी में हम सूरज के दर्शन तक नहीं कर पा रहे है ऐसे में देश की बड़ी आबादी विटामिन डी की कमी से जूझ रही है।विटामिन डी और कैल्शियम की कमी के अलावा, प्रोटीन की कमी, शरीरिक मेहनत एवं कसरत का अभाव, बढ़ती उम्र, धूम्रपान, डायबिटीज, थाइरॉयड तथा शराब का सेवन समेत इन दोनों बीमारियों के और कई कारण हैं। 

ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण सामान्यत: जल्दी दिखाई नहीं देते हैं। हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन के अलावा कई प्रकार के मिनरल से बनी हैं। लेकिन अनियमित जीवनशैली और बढ़ती उम्र के साथ मिनरल नष्ट होने लगते हैं जिससे हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है। वे कमजोर होने लगती हैं।” 

अर्थराइटिट्स केयर फाउंडेशन (एएफसी) के अध्यक्ष एवं इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के के वरिष्ठ अर्थोपेडिक सर्जन डॉ़ राजू वैश्य ने यहां कहा,“आधुनिक जीवन शैली,लगातार बैठे रहने अथवा किसी तरह की शारीरिक कसरत नहीं करने, अल्कोहल-तम्बाकू सेवन, ध्रूमपान, हाई कैलोरिफिक वैल्यू वाले खाद्य पदार्थो एवं जंक फूड का अत्यधिक सेवन और खाद्य पदार्थों में मिलावट के कारण ऐसे लोग भी इस रोग की दहलीज पर खड़े हैं जिनकी उम्र 35 से 40 के अंदर है। समान्यत: यह बीमारी 50 से अधिक उम्र ,खास कर महिलाओं में सर्वाधिक होती है। देश में 80 प्रतिशत महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित हैं और 50 से अधिक उम्र की महिलाओं को इस रोग का अधिक खतरा होता है। 


 

डॉ वैश्य ने कहा,“इसका मतलब हर चार में से तीन महिलाएं इस रोग की चपेट में हैं।” उन्होंने कहा,“ इस बीमारी में हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि मामूली रूप से गिरने अथवा झटका लगने अथवा गिरने से हड्डियां टूट जाती हैं। बढ़ती उम्र की यह बीमारी अब कम उम्र के भी देखी जा रही है।”

उन्होंने कहा कि महिलाओं में आॅस्टियोपोरोसिस का खतरा ज्यादा रहता है। महिलाओं की हड्डियों का घनत्व पुरूषों की अपेक्षा कम हाेता है और बढ़ती उम्र के साथ घनत्व में तेजी से कमी आती है। युवा महिलाओं में पुरूषों की अपेक्षा एस्ट्रोजन हार्मोन अधिक हाेता है लेकिन रजस्वला के बाद इसमें तेजी से कमी आती है जिसके कारण आॅस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। यह हार्मोन पुुरूषों और महिलाओं की हड्डियों को मजबूत रखता है।

डॉ़ सिंह ने कहा कि आॅस्टियोपोरोसिस के लिए प्रोटीन, कैल्सियम ,मैगनेशियम और विटामिन डी युक्त भोजन लेना उत्तम रहेगा। इसके लिए वसा रहित दूध, दही, ब्रोकली ,फूलगोभी ,बादाम, हरी सब्जियां आदि को भोजन में शामिल किया जाना चाहिए।

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उन्होंने कहा,“ ओस्टीयोमलेशिया की स्थिति में हड्डियां मुलायम होने लगती हैं। मजबूत मांस्पेशियां हड्डियों को मजबूत रखने में मददगार हैं इसलिए प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ जैसे, चना, मेवा,मसूर की दाल और राजमा आदि भोजन में शामिल करना चाहिए। इसमें सुबह की धूप मेेेें कम से कम 15 मिनट तक बैठना अधिक लाभकारी है। ”

उन्होंने कहा कि कसरत करने से हड्डियों का घनत्व नहीं बढ़ता है लेकिन इसके अन्य फायदे हैं। इससे आॅस्टियोपोरोसिस से बचने में मदद मिलती है। योग बेहतर है क्योंकि इससे हड्डियों में लचक आती है और यह मजबूत होती हैं। इस बीमारी से ग्रस्ति लोगों को हल्का -फुल्का व्यायाम करना चाहिए नहीं तो हड्डियों का चटकने का खतरा रहता है।”(वार्ता) 










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